Maldives: मालदीव में शनिवार को राष्ट्रपति पद के लिए डाले जाएंगे वोट, जानिए भारत और चीन के लिए क्यों है खास?

Maldives: मालदीव (Maldives) में शनिवार, (30 सितंबर) को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान किया जाना है. मालदीव में होने वाला यह राष्ट्रपति का चुनाव भारत और चीन के लिए कई मायनों में खास माना जा रहा है.

Manoj Aarya
Edited By: Manoj Aarya

हाइलाइट

  • मालदीव में शनिवार को राष्ट्रपति पद के लिए डाले जाएंगे वोट.
  • भारत और चीन के लिए यह चुनाव कई मायनों में खास है.
  • 2018 में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को मिली थी जीत.

Maldives: मालदीव (Maldives) में शनिवार, (30 सितंबर) को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान किया जाना है. मालदीव में होने वाला यह राष्ट्रपति का चुनाव भारत और चीन के लिए कई मायनों में खास माना जा रहा है. हिंद महासागर के मध्य में दुनिया के सबसे व्यस्त पूर्व-पश्चिम शिपिंग लेन पर स्थित मालदीव एक मशहूर पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है. लगभग 1,200 द्वीपों का यह देश दुनिया के अमीरों और प्रसिद्ध लोगों के लिए पसंदीदा समुद्र तट बन गया है. वहीं यह जगह रणनीतिक रूप से भारत और चीन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. 

चीन समर्थक उम्मीदवार ने जीता था चुनाव

बता दें कि माले के 45 वर्षीय मेयर मुइज्जू ने पिछली सरकार के कार्यकाल में देश के मुख्य हवाई अड्डे से जोड़ने वाले 200 मिलियन डॉलर के चीन समर्थित पुल का निर्माण करवाया था. इस महीने की शुरुआत के पहले दौर में उन्होंने 46 प्रतिशत मत के साथ जीत हासिल की थी. जबकि मालदीव के पारंपरिक दोस्त भारत समर्थक माने वाले इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 39 प्रतिशत वोट मिले थे. 

दोनों नेताओं के बीच 15 हजार मतों का अंतर

न्यूज़ एजेंसी एएफपी से बातचीत के दौरान पूर्व विदेश मंत्री अहमद शहीद का कि कुल 283,000 मतदाताओं वाले इस शहर में दोनों नेताओं के बीच केवल 15 हजार मतों का फर्क है. दोनों नेताओं के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है. उन्होंने कहा कि मालदीव के मूड से पता चलता है कि दोनों उम्मीदवारों के बीच का अंतर तेजी से कम हो रहा है. गौरतलब है कि साल 2018 में हुए चुनाव में सोलिह ने जीत हासिल की थी. उन्होंने अब्दुल्ला यामीन को हराया था. वहीं अब्दुल्ला यामीन पर बुनियादी ढांचे के लिए भारी कर्ज लेकर देश को चीनी कर्ज के जाल में धकेलने का आरोप लगा था. 

भारतीय प्रभाव को कम करने की मांग

आपको बता दें कि 9 सितंबर को हुए पहले दौर की चुनाव में मिली हार के बाद सोलिह ने आवास जैसे स्थानीय मुद्दों पर अभियान चलाकर समर्थन जुटाने की कोशिश की है. मुइज़ू की प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) ने भारत के प्रति सोलिह के रुख पर प्रहार करते हुए बहस को कूटनीति पर केंद्रित रखा है. वहीं, पीपीएम और उसके कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम राष्ट्र में भारतीय प्रभाव को कम करने की मांग को लेकर नियमित रूप से सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया है. 

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28 September 2023, 04:14 PM IST

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