नई उम्मीद: भारत से कैलाश मानसरोवर के लिए सीधी उड़ान की शुरुआत
भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने और कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा मार्ग को पुनः खोलने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. दोनों देशों के बीच ये महत्वपूर्ण निर्णय रिश्तों में सुधार और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के उद्देश्य से लिए गए हैं. इस कदम से न केवल धार्मिक यात्रा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को भी नई दिशा मिलेगी.
नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने सोमवार को रियो डी जनेरियो में आयोजित जी20 सम्मेलन के दौरान भारत-चीन संबंधों को स्थिर करने के उपायों पर चर्चा की. दोनों देशों ने प्रत्यक्ष उड़ानों को फिर से शुरू करने और कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा मार्ग को फिर से खोलने के लिए कदम उठाने पर सहमति जताई। यह जानकारी पीटीआई ने दी.
महत्वपूर्ण बिंदु और द्विपक्षीय संबंधों पर फोकस
विदेश मंत्रालय (MEA) ने भारत और चीन के बीच हुई वार्ता के महत्वपूर्ण बिंदुओं को साझा करते हुए बताया कि यह चर्चा द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित थी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "चर्चाओं का मुख्य विषय भारत-चीन संबंधों में आगे के कदम थे. यह निर्णय लिया गया कि विशेष प्रतिनिधियों की बैठक और विदेश सचिव-उप मंत्री तंत्र की बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी.
लीन-ऑफ और सीमा पर शांति की दिशा में कदम
यह पहली बार था जब दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने उस प्रक्रिया के बाद उच्चस्तरीय चर्चा की, जिसमें देपसांग और डेमचोक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास disengagement (विच्छेदन) प्रक्रिया को पूरा किया गया था. MEA के बयान के अनुसार, जयशंकर और वांग यी ने इस disengagement समझौते के महत्व को स्वीकार किया, जिसने सीमा पर शांति और स्थिरता को फिर से बहाल किया.
कैलाश मानसरोवर यात्रा और अन्य बिंदुओं पर सहमति
MEA ने आगे कहा कि चर्चा के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, सीमा पार नदियों पर डेटा साझा करने, भारत और चीन के बीच प्रत्यक्ष उड़ानें शुरू करने और मीडिया आदान-प्रदान जैसे कदमों पर विचार किया गया.
भारत की दृढ़ स्थिति
बैठक के दौरान, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से कहा कि भारत एकतरफा कार्रवाइयों का विरोध करता है, जो किसी विशेष देश के प्रभुत्व को स्थापित करने का प्रयास करती हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपनी द्विपक्षीय रिश्तों का मूल्यांकन अन्य देशों के साथ संबंधों के आधार पर नहीं करता है, जैसा कि विदेश मंत्रालय ने बताया.
यह बैठक भारत और चीन के बीच रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. खासकर सीमा विवाद और अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा के बाद.