'ग्रीन इस्लाम' शब्द सुनकर चौंक गई दुनिया, आखिर क्या करने जा रहा है सबसे बड़ा इस्लामिक देश?
Green Islam in hindi: सोशल मीडिया पर 'Green Islam' नाम का एक शब्द काफी चर्चा में है. इंडोनेशिया की सबसे बड़ी मस्जिद से, सबसे बड़े इमाम ने ऐसा क्या कह दिया कि यह शब्द चर्चा का विषय बन गया.
What is green islam: इंटरनेट पर इन दिनों 'ग्रीन इस्लाम' शब्द काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. लेकिन बहुत कम लोग इस शब्द के बारे में जान रहे हैं. तो फिर चलिए जानते हैं कि आखिर यह शब्द क्यों चर्चा में है. दरअसल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम कहता है कि एक दिन सब कुछ खत्म हो जाएगा कोई भी इंसान, जानवर समेत हर जानदार चीज मर जाएगी. इस दिन का जिक्र कयामत के दिन के तौर पर किया जाता है. यही वजह है कि दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में'ग्रीन इस्लाम' की आवाज उठी है.
हाल ही में इंडोनेशिया में देखा गया कि एक बड़े मुस्लिम प्रोग्राम के आयोजन में देश के सबसे बड़े इस्लामिक लीडर नसरुद्दीन ने कहा कि हम इंसानों की सबसे बड़ी कमी है कि हम लोग इस जमीन को सिर्फ वस्तु की तरह देखते और इस्तेमाल करते हैं. हम कुदरत के प्रति जितनी लालची होंगे उतनी जल्दी कयामत आ जाएगी. नसरुद्दीन इस्तिकलाल मस्जिद के इमाम भी हैं और बड़ी तादाद में लोग उनको और उनकी बातों को फॉले करते हैं. उन्होंने यह बातें इसलिए कहीं क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से देश को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
दरअसल इंडोनेशिया दुनिया को बड़े पैमाने पर कोयला और पॉम आयल निर्यात करने वाला देश है, लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से इसपर भारी असर पड़ रहा है. यहां तक कि इसके कई शहर समुद्र के बढ़ते स्तर की वजह से डूबने की दहाने पर हैं. ऐसे में ग्लोबन वॉर्मिंग से बचने के लिए इंडोनेशिया में 'ग्रीन इस्लाम' की कॉल दी गई है. ग्रीन इस्लाम एक यानी पर्यावरण से प्रेम करने वाला धर्म, वो धर्म पर्यावरण के प्रति जागरूक करे. इन्हीं बातों की जागरूकता के लिए इमाम नसरुद्दीन ने लोगों को अलर्ट किया.
इमाम नसरुद्दीन ने कहा कि हम लोग जिस तरह रमजान में रोजे रखते हैं ठीक उसी तरह हमारा फर्ज यह भी है कि हम अपनी धरती की हिफाजत करें. जिस तरह हम नमाज पढ़ने को जरूरी समझते हैं ठीक उसी तरह हमें पर्यावरण से प्रेम करान चाहिए और पेड़ लगाने चाहिए. ग्रीन इस्लाम आंदोलन को देश के सबसे बड़े मुस्लिम जमीनी स्तर के संगठन नहदलातुल उलमा और मुहम्मदियाह से भी साथ मिल रहा है. जो स्कूलों, अस्पतालों और सामाजिक सेवाओं के लिए पहचाने जाते हैं.
इस्तिकलाल मस्जिद की खासियत:
जिस मस्जिद से यह संबोधन किया जा रहा था वो मस्जिद (इस्तिकलाल) इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में मौजूद एक मस्जिद है. इसे दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद कहा जाता है. इस मस्जिद का निर्माण 1975 में इंडोनेशियाई सरकार की तरफ से कराया गया था. मस्जिद में एक साथ 120,000 नमाज़ी इबादत कर सकते हैं. यह दुनिया का पहला ऐसा धार्मिक स्थल है जिसे वर्ल्ड बैंक के इंटरनेशल फाइनाशियल कॉप्स की तरफ से 'ग्रीन बिल्डिंग' अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. ग्रैंड इमाम ने कहा कि वह इंडोनेशिया की 800,000 मस्जिदों में से 70 प्रतिशत को "इको-मस्जिद" में बदलने में मदद करना चाहते हैं.