क्या है ये रजाकार शब्द जिसने बांग्लादेश में चल रहे प्रदर्शन को और दे दी हवा

Bangladesh News: बांगलादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन और उग्र हो गया है. इस दौरान अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और ढाई हजार से ज्यादा घायल हो गए हैं. इस बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक बयान ने छात्रों के प्रदर्शन को और हवा दे दी है. जिसके बाद छात्रों ने सरकार को तानाशाह करार दिया है.

calender

Bangladesh News: बांगलादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर जारी प्रदर्शन और उग्र हो गया है. इस दौरान हिंसा भड़कने के बाद आज ( 20 जुलाई) पुलिस ने पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया है. ऐसे में हालात को नियंत्रण करने के लिए राजधानी ढाका को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. वहीं अब तक इस प्रदर्शन में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और ढाई हजार से ज्यादा घायल हो गए हैं. इस बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस बयान ने छात्रों के प्रदर्शन को और हवा दे दी है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीएम शेख हसीना ने छात्रों के आंदोलन को लेकर कहा, 'आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को नहीं तो क्या रजाकारों के वंशजों को दिया जाना चाहिए? उनके इस बयान से आंदोलनकारी छात्र भड़क गए और उन्होंने 'रजाकार' शब्द को ही सरकार के खिलाफ अपना हथियार बना लिया है, क्योंकि बांग्लादेश में इस शब्द को अपमानजनक माना जाता है. इस बीच अब सवाल खड़ें होने लगें की क्या है ये रजाकार शब्द जिसनें छात्रों के गुस्से को और बढ़ा दिया है. 

क्यों हो रहा विरोध प्रदर्शन?

बांग्लादेश में छात्रों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार की नौकरी कोटा प्रणाली के खिलाफ हैं, जो कुछ खास समूहों के लिए सरकारी नौकरियों का एक बड़ा हिस्सा आरक्षित करती है.  ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता  नायकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक का आरक्षण देने की व्यवस्था के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. 

अब यह प्रदर्शन उग्र हो चुका है और अब तक इसमें 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. हालांकि मृतकों के बारे में सही आंकड़ा नहीं मिल पाया है. इस बीच अधिकारियों ने मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर बैन लगा दिया है.  वहीं कुछ टेलीविजन समाचार चैनलों में भी कामकाज बंद हो गया है. 

प्रदर्शनकारी छात्रों ने पीएम को बताया तानाशाह 

इस बीच अब आंदोलनकारी छात्र बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को 'तानाशाह' कह रहे हैं. शेख हसीना बांग्लादेश में अब तक सबसे लंबे समय तक पीएम पद पर  रहने वाली नेता हैं. वे जून 1996 से जुलाई 2001 तक और फिर जनवरी 2009 से अब तक देश की प्रधानमंत्री हैं. छात्रों की तरफ से  सरकार पर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं. इसके साथ यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि वे बांग्लादेश में एक पार्टी का राज स्थापित करके तानाशाह बन गई हैं. इस दौरान हसीना के समर्थकों का कहना है कि यदि देश की नेता शेख हसीना नहीं होंगी तो और कौन होगा? इस पर छात्रों का कहना है कि वे हसीना जैसी तानाशाह के बजाय ‘रजाकारों' को अधिक पसंद करेंगे.

कौन थे रजाकार? जिसे सुनते ही छात्र भड़क उठे

रजाकार शब्द बांग्लादेश में अपमानजनक माना जाता है. इस शब्द के पीछे लंबा इतिहास है.  दरअसल,  सन 1971 में बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम हुआ था. उस दौरान पाकिस्तानी सेना तब पूर्वी पाकिस्तान कहलाने वाले बांग्लादेश के लोगों पर भारी अत्याचार कर रही थी. तब पाकिस्तान ने बांग्लादेश में ईस्ट पाकिस्तानी वालेंटियर फोर्स का निर्माण किया था.  इस दौरान  कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा समर्थित पाकिस्तान के सशस्त्र बलों ने स्वतंत्रता संग्राम को दबाने और लोगों को आतंकित करने के लिए तीन मुख्य मिलिशिया बनाए थे- रजाकार, अल-बद्र और अल-शम्स.

ऐसे में  पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के समर्थन से इन मिलिशिया समूहों ने बंगाल में नरसंहार किए और बंगालियों के खिलाफ बलात्कार, प्रताड़ना, हत्या जैसे जघन्य अपराध किए थे. जो बांग्लादेश के गठन के विरोधी थे. वहीं आज हालात ऐसे हैं कि पीएम शेख हसीना को निशाना बनाते हुए बांग्लादेश की सड़कों पर “हम हैं रजाकार” के नारे लगाए जा रहे हैं. 


First Updated : Saturday, 20 July 2024