कंगाल पाकिस्तान कहां खर्च करता है अपने पैसे? यहां पढ़ें पूरा सच
इस खबर को पढ़कर आपको ये पता लग जाएगा कि आखिर पाकिस्तान का पैसा कहां जाता है. पाक ने बीते दिन अपना बजट पेश किया है. जिसके मुताबिक उसका सारा काला चिट्ठा खुलकर सामने आ गया है.
इस्लामाबाद: ये सभी जानते हैं कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. यहां की आम जनता महंगाई से पूरी तरह त्रस्त हैं. वहीं दुनियाभर से इस मुल्क के हुक्मरान पैसा मांगते फिरते हैं. मगर इन बातों को अब थोड़ा नजरअंदाज कीजिए क्योंकि आज हम आपको इस कंगाल देश के बारे की पूरी सच्चाई बताने वाले हैं. दरअसल पाकिस्तान लोगों की भूख की चिंता न करके अपना सारा पैसा बम और बारूद इकठ्ठा करने में लगाता है. इन बेकार चीजों के पीछे ये जमकर अपने पैसा खर्च करता है.
जानें पाकिस्तान के रक्षा क्षेत्र का खर्चा
पाकिस्तान ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बीते दिन यानी 12 जून को पेश बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन को 15 प्रतिशत बढ़ा दिया है और इसका नया बजट 2,122 अरब रुपये है. यह पिछले वित्त वर्ष के रक्षा बजट की तुलना में बहुत अधिक है, कर्ज का संकट पाकिस्तान के ऊपर तेजी से पैर पसार रहा है. मगर जब वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से नया कर्ज लेने की कोशिशों में जुटा हुआ है. जबकि पाक के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में अगले वित्त वर्ष का बजट पेश कर दिया है.
वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब का बयान
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के गठबंधन में बनी सरकार का ये पहला बजट है. इससे पहले की सरकार ने देश के रक्षा क्षेत्र के लिए 1,804 अरब रुपये खर्च किए थे. वहीं पाक के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब का कहना है कि आने वाले सरकार ने जुलाई 2024-जून 2025 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि करने की सोची है. जो वित्त वर्ष 2023-24 के 3.5 प्रतिशत के मुताबिक बहुत अधिक है.
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि बजट के सारे पैसे कुल 18,877 अरब रुपये है. जिसमें रक्षा खर्च के लिए 2,122 अरब रुपये के आवंटन किया जाएगा. जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 14.98 प्रतिशत ज्यादा है. उनका कहना है कि अगले वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 12 फीसदी कर दिया जाएगा. बजट घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 6.9 प्रतिशत रखा गया है. इसके बावजूद संग्रह लक्ष्य 12,970 अरब रुपये होगा जो पिछले वर्ष की तुलना में 38 फीसदी ज्यादा है.