नेपाल में आज भी चलता है हिंदू कैलेंडर, विक्रम संवत से होता है हर कामकाज!

क्या आप जानते हैं कि नेपाल में आज भी विक्रम संवत यानी हिंदू कैलेंडर पर कामकाज चलता है? जबकि भारत ने इसे छोड़ दिया, नेपाल ने इसे 1901 से अपनाया हुआ है. यहां तक कि सरकारी दस्तावेज, त्योहार, शिक्षा और बैंकिंग सभी इसी कैलेंडर के हिसाब से होते हैं. जानिए कैसे नेपाल में विक्रम संवत की परंपरा आज भी ज़िंदा है और यह देश इसे अपनी पहचान बनाए हुए है.

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Edited By: Aprajita

The Hidden Secret of Nepal: आजकल दुनिया में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा देश है जो आज भी हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत को पूरी तरह से अपनाए हुए है? यह देश है नेपाल, जहां सरकारी कामकाज से लेकर शिक्षा व्यवस्था तक, हर चीज विक्रम संवत के हिसाब से चलती है. आइए जानते हैं इस अद्भुत परंपरा के बारे में विस्तार से.

भारत में 1954 में हुई विक्रम संवत की मान्यता

भारत में 1954 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने विक्रम संवत को आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी. हालांकि, समय के साथ भारत में सरकारी कामकाज ग्रेगोरियन कैलेंडर पर ही शिफ्ट हो गया. मगर नेपाल ने 1901 में विक्रम संवत को आधिकारिक कैलेंडर के रूप में अपनाया और तब से नेपाल में यह कैलेंडर पूरी तरह से शासन कर रहा है.

नेपाल में सरकारी कामकाज विक्रम संवत पर आधारित

नेपाल में सरकारी दस्तावेज, प्रमाणपत्र, नागरिकता प्रमाणपत्र और चुनावी तारीखें सब विक्रम संवत के हिसाब से तय होती हैं. यहां तक कि पासपोर्ट आवेदन और कानूनी दस्तावेज भी विक्रम संवत में जारी होते हैं. यह कैलेंडर नेपाल के हर प्रशासनिक कामकाज का आधार है, जिससे यह न केवल संस्कृति, बल्कि सरकार के ढांचे में भी गहराई से जुड़ा हुआ है.

शिक्षा और त्योहारों में भी विक्रम संवत का प्रभाव

नेपाल की शिक्षा व्यवस्था भी विक्रम संवत पर आधारित है. स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का अकादमिक सत्र, परीक्षा की तिथियां और परिणाम सभी इसी कैलेंडर के हिसाब से तय होते हैं. यहां तक कि छात्रों की मार्कशीट और प्रमाणपत्र भी विक्रम संवत के अनुसार जारी होते हैं.

इसके अलावा, नेपाल में सभी राष्ट्रीय त्योहारों की तारीखें भी विक्रम संवत के हिसाब से ही तय होती हैं. जैसे दशैं (दुर्गा पूजा), तिहार (दीवाली) और नेपाल का नया साल (बैशाख 1) भी इसी कैलेंडर के हिसाब से मनाया जाता है.

बैंकिंग और वित्तीय लेनदेन भी विक्रम संवत में

नेपाल में बैंकिंग और वित्तीय लेनदेन भी विक्रम संवत के अनुसार तय होते हैं. बजट सत्र, वित्तीय वर्ष, सरकारी बैंकिंग प्रणाली, और स्टॉक एक्सचेंज की तारीखें सभी विक्रम संवत के हिसाब से निर्धारित की जाती हैं. सरकारी खजाने और वित्तीय रिपोर्टें भी इसी कैलेंडर में प्रकाशित होती हैं.

विक्रम संवत - 57 साल आगे चलता है ग्रेगोरियन कैलेंडर से

विक्रम संवत, ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 साल अधिक होता है. उदाहरण के लिए, अगर 2024 ग्रेगोरियन वर्ष है, तो नेपाल में विक्रम संवत 2081 होगा. इसका नाम महान राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 57 ईसा पूर्व में शकों को हराकर इस संवत की शुरुआत की थी.

क्या है विक्रम संवत की विशेषता?

विक्रम संवत 12 महीनों और 7 दिनों का साल होता है, ठीक वैसे ही जैसे ग्रेगोरियन कैलेंडर में होता है. हालांकि, यह पूरी तरह से सौर और चंद्र नक्षत्रों की गति पर आधारित होता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है, उस नक्षत्र के आधार पर महीनों के नाम निर्धारित किए जाते हैं.

नेपाल में आज भी विक्रम संवत की परंपरा जीवित है और यह देश अपने प्रशासनिक और सांस्कृतिक कामकाज को इस कैलेंडर के आधार पर संचालित करता है. नेपाल में हिंदू कैलेंडर का पालन न केवल सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वहां के नागरिक जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ है. इस अद्भुत कैलेंडर की महत्ता और इस पर आधारित जीवनशैली के बारे में जानकर हमें भारत और नेपाल की ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर का अहसास होता है.

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31 March 2025, 11:21 PM IST

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