कौन है महमूद खलील? जिसे अमेरिका ने सुनाया डिपोर्ट का फरमान, फिलिस्तीन समर्थन बना वजह
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र और फलस्तीन समर्थक एक्टिविस्ट महमूद खलील को अमेरिका से डिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है. खलील पर आरोप है कि उसकी गतिविधियां अमेरिकी विदेश नीति के खिलाफ हैं. हालांकि, उस पर किसी कानून के उल्लंघन का आरोप नहीं है. खलील की गिरफ्तारी के बाद बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे। कोर्ट के फैसले को ट्रंप प्रशासन की जीत के रूप में देखा जा रहा है.

फलस्तीन के समर्थन में आवाज उठाना महमूद खलील को भारी पड़ गया है. अमेरिका में हुए व्यापक छात्र विरोध प्रदर्शनों के बीच गिरफ्तार किए गए इस फलस्तीनी समर्थक छात्र को अब देश से बाहर निकाला जाएगा. न्यूयॉर्क से गिरफ्तार किए गए कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र महमूद खलील को लेकर लुइसियाना की इमिग्रेशन कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है.
अमेरिका के इमिग्रेशन जज ने साफ कहा है कि महमूद खलील को डिपोर्ट किया जाना चाहिए. यह फैसला उस वक्त आया है जब अमेरिका में फलस्तीन के समर्थन और गाजा युद्ध के विरोध में छात्र आंदोलन अपने चरम पर हैं. खलील न केवल इन आंदोलनों का हिस्सा था, बल्कि वह इनका प्रमुख चेहरा भी बन चुका है.
क्या है कोर्ट का फैसला?
लासेल इमिग्रेशन कोर्ट, लुइसियाना में इमिग्रेशन जज जेमी कॉमन्स ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि महमूद खलील को अमेरिका से निष्कासित किया जाना चाहिए. यह फैसला सीधे तौर पर डिपोर्टेशन का आदेश नहीं है, लेकिन इसे ट्रंप प्रशासन की नीति की दिशा में एक बड़ी जीत माना जा रहा है.
अमेरिका की विदेश नीति पर खतरा?
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पिछले महीने एक पत्र में 1952 के इमिग्रेशन और राष्ट्रीयता अधिनियम का हवाला देते हुए खलील को अमेरिका की विदेश नीति के लिए खतरा बताया था. उन्होंने लिखा, "यहूदी विरोधी प्रदर्शनों और विघटनकारी गतिविधियों में खलील की भूमिका ने अमेरिका के यहूदी छात्रों के लिए एक शत्रुतापूर्ण माहौल पैदा किया है. ऐसे में उसे यूएस से डिपोर्ट किया जाना चाहिए."
हालांकि रुबियो ने ये भी स्पष्ट किया कि खलील ने कोई कानून नहीं तोड़ा, लेकिन अगर कोई व्यक्ति अमेरिकी विदेश नीति के खिलाफ खड़ा होता है, तो उसका अप्रवासी दर्जा रद्द किया जा सकता है.
कौन है महमूद खलील?
महमूद खलील एक फलस्तीनी शरणार्थी है, जिसका जन्म सीरिया के एक रिफ्यूजी कैंप में हुआ था. उसके पास अल्जीरिया की नागरिकता है और वह अमेरिका में पिछले साल वैध स्थायी नागरिक बना था. खलील की पत्नी अमेरिकी नागरिक है और वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा है. खलील इन दिनों फलस्तीन समर्थक छात्र आंदोलनों का प्रमुख चेहरा बन चुका है, जिसने अमेरिका की नीतियों के खिलाफ मुखरता से आवाज़ उठाई.
खलील ने कोर्ट में क्या कहा?
डिपोर्टेशन का आदेश सुनने के बाद खलील ने कोर्ट में कहा, "कोर्ट के लिए उचित प्रक्रिया अधिकार और मौलिक निष्पक्षता से अधिक जरूरी कुछ भी नहीं है. आज जो हमने देखा, उसमें ये सिद्धांत बिल्कुल नदारद थे. यही वजह है कि ट्रंप प्रशासन ने मुझे मेरे परिवार से हजार मील दूर इस अदालत में खड़ा कर दिया है."
क्यों है यह मामला अहम?
यह मामला सिर्फ एक छात्र का डिपोर्टेशन नहीं है, बल्कि अमेरिका में बढ़ते छात्र आंदोलनों, अभिव्यक्ति की आज़ादी और विदेश नीति के टकराव का बड़ा उदाहरण बन गया है. इससे न केवल अमेरिकी कैंपसों की स्थिति पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि यह भी साफ हो रहा है कि फलस्तीन का समर्थन अब वैश्विक राजनीति में किस तरह का असर डाल सकता है.


