हमेशा हिंदू ही निशाने पर क्यों? रामस्वामी के जवाब से अमेरिका में आस्था पर छिड़ी बहस

Vivek Ramaswamy: हाल ही में रिपब्लिकन राष्ट्रपति उम्मीदवार विवेक रामास्वामी और एक अमेरिकी नागरिक के बीच धार्मिक असहिष्णुता को लेकर बहस छिड़ी. अमेरिकी नागरिक ने हिंदू धर्म को "दुष्ट और मूर्तिपूजक धर्म" करार दिया, जिस पर रामास्वामी ने शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त प्रतिक्रिया दी.

Shivani Mishra
Shivani Mishra

Vivek Ramaswamy: हाल ही में रिपब्लिकन राष्ट्रपति उम्मीदवार विवेक रामास्वामी और एक अमेरिकी नागरिक के बीच धार्मिक असहिष्णुता को लेकर बहस छिड़ी. अमेरिकी नागरिक ने हिंदू धर्म को "दुष्ट और मूर्तिपूजक धर्म" करार दिया, जिस पर रामास्वामी ने शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त प्रतिक्रिया दी. यह घटना अमेरिका में धार्मिक विविधता और सहिष्णुता के मुद्दों को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ले आई है.  

इस बहस ने न केवल हिंदू धर्म के प्रति आम गलत धारणाओं को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि किस प्रकार विभिन्न संस्कृतियां धार्मिक असहिष्णुता के प्रति प्रतिक्रिया करती हैं. रामास्वामी की प्रतिक्रिया ने हिंदू धर्म के लचीलेपन और सहिष्णुता का उदाहरण प्रस्तुत किया, और इस पर सवाल उठाया कि अगर ऐसी टिप्पणी किसी अन्य धर्म पर की जाती, तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी होती.

विवेक रामास्वामी की शांत प्रतिक्रिया

अमेरिकी नागरिक की अपमानजनक टिप्पणी के बावजूद, रामास्वामी ने शांति से अपने धर्म का बचाव करते हुए कहा कि हिंदुत्व को हर बार निशाना क्यों बनाया जाता है. उनकी प्रतिक्रिया हिंदू धर्म की सहिष्णुता और लचीलेपन का एक प्रमाण थी, जो अक्सर कट्टरपंथी हमलों का जवाब देने के बजाय सिखाने और संवाद करने की परंपरा को आगे बढ़ाती है.

क्या अन्य धर्मों पर ऐसी टिप्पणी होती, तो प्रतिक्रिया अलग होती?

आलोचकों का कहना है कि अगर यही टिप्पणी भारत में ईसाई धर्म के खिलाफ की जाती, तो इसकी प्रतिक्रिया कहीं अधिक तीव्र होती. अंतरराष्ट्रीय मीडिया और कानूनी कार्रवाई जैसे घृणास्पद भाषण के लिए जनहित याचिका भी संभवतः सामने आती. इसके उलट, हिंदू धर्म ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से इन आलोचनाओं का सामना किया है.  

धार्मिक असहिष्णुता पर दोहरे मानदंड  

रामास्वामी की घटना ने धार्मिक असहिष्णुता पर दोहरे मानदंडों को उजागर किया. यह दर्शाता है कि कैसे विभिन्न धर्मों के प्रति समाज में पूर्वाग्रह अब भी मौजूद हैं. विशेषकर अमेरिका जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में, यह घटना धार्मिक अल्पसंख्यकों को समान सम्मान दिलाने में आने वाली चुनौतियों को सामने रखती है.

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22 October 2024, 03:48 PM IST

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