दुनिया के कई देशों में तनाव का माहौल बना हुआ है. वहीं इस बीच कई मुस्लिम देशों के बीच नजदीकियां भी बढ़ी है. जो सबको हैरान करने वाला है. एक दूसरे के दुश्मन और आपस में लड़ने वाले ये देश अब आपसी दुश्मनी भुलकर एक साथ आ रहे है. ऐसा इसलिए भा कहा जा रहा है क्योंकि इरान के राष्ट्रपति पाकिस्तान के दौरे पर हैं और तुर्की के राष्ट्रपति इराक के. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि मुस्लिम देश अब एक हो रहे है.
दूसरे विश्व युद्द के बाद दूनिया का दो हिस्सों में बंटवारा हो गया था. पहला हिस्सा जो संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के पक्ष में था. तो वहीं दूसरा हिस्सा USSR के साथ खड़ा था. लेकिन कुछ देश ऐसे भी थे जिन्होंने बीच का रास्ता चुना और दोनों ही विचारधाराओं वाले देशों के साथ संबंधों में संतुलन बनाया. इसमें भारत जैसे कई देश शामिल है. 1989 के बाद USSR का डाउनफॉल शुरू हुआ और 15 नए देश सामने आए. यही वो समय था जब मध्य पूर्व के देशों में तेल और गैस की तेजी से खोज जारी थी, इस बीच खाड़ी देशों रूस का सामना हुआ जिसमें वह काफी कमजोर पड़ चुका था. जिसका फायदा अमेरिका ने उठाया. देखते देखते अमेरिका मुस्लिम देशों का बड़ा मसीहा बन गया और आज तक बड़े-बड़े मुस्लिम देशों के तेल और अन्य रिसोर्सिस पर अपना ही हिस्सा रखता आ रहा है. एक्सपर्ट की मानें तो पश्चिमी देशों ने अपने इसी वर्चस्व को बरकरार रखने के लिए मुस्लिम देशों में ‘फूट डालो, राज करो’ वाली नीति शुरू की थी.
बदलते समय के साथ अब स्थिति बदल गई है. मुस्लिम देशों का झुकाव अब संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के बजाय चीन और रूस की ओर होने लगा है. अब ऐसा देखा जा रहा है कि मुस्लिम देश आपसी मतभेदों को भुला धार्मिक और सांस्कृतिक समानता देखते हुए अपनी एक अलग ताकत बनाने की ओर बढ़ रहे है. इसके साथ ही दूनिया में रूस-यूक्रेन वॉर, हमास-इजराइल युद्ध, सूडान संकट दुनिया के कई हिस्सों में इस वक्त अस्थिरता का माहौल बना हुआ है. कुछ जानकारों का ये भी मानना है कि दुनिया इस समय संवेदनशील दौर से गुजर रही है, ऐसे में मुस्लिम देश ये समझ चुके है कि दुनिया को अपनी ताकत दिखाने का सही समय आ चुका है. First Updated : Tuesday, 23 April 2024