एक औरत के आंसू देखकर सद्दाम हुसैन ने इजराइल पर दागी थी मिसाइलें! पढ़िए कहानी

Saddam Hussain: इन दिनों हर तरफ इजराइल के राफा पर किए हमले की चर्चा है. हर कोई इस नरसंहार की कड़ी आलोचना कर रहा है. सोशल मीडिया पर तरह तरह के पोस्ट वायरल हो रहे हैं. इन्ही पोस्ट में कुछ ऐसे भी पोस्ट हैं जिसमें लोग सद्दाम हुसैन को याद कर रहे हैं.

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Saddam Hussain: इजराइल ने राफा में जिस तरह से कत्लेआम मचाया है, उसको देखकर किसी का भी दिल पसीज सकता है. वहां पर रोते बिलखते बच्चों की तस्वीरें, वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इनको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से बच्चों को तड़पाकर मार दिया जा रहा है. इस सब के बीच कई ऐसी कहानियां निकल कर आ रही हैं जो इतिहास में कहीं गुम सी हो गई थी. सोशल मीडिया पर सद्दाम हुसैन का लोग जिक्र कर रहे हैं, आखिर अब लोगों को सद्दाम हुसैन की याद क्यों आर रही है? आज आपको बताएंगे हुसैन और इजराइल की जंग के बारे में . 

कौन थे सद्दाम हुसैन?

 सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 को बगदाद में हुआ था, जानकारी के मुताबिक, सद्दाम के जन्म के 6 महीने बाद ही उनके पिता कहीं लापता हो गए. भाई जो उनसे 13 साल बड़ा था उसको कैंसर हो गया और उसी के चलते मौत भी हो गई. परिवार में इतना सब देखकर सद्दाम की मां डिप्रेशन का शिकार हो गई, और कुछ दिनों में ही दूसरी शादी भी कर ली. दूसरे पति ने काफी परेशान करता था जिसके बाद सद्दाम अपने मामा के घर पर रहने चले गए. 

 

1957 में ज्वाइन की पार्टी

सद्दाम अपने मामा के घर रहकर वकालत की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन पढ़ाई अधूरी छोड़कर उन्होंने 1957 में वो एक प्रो-इराकी नेशनलिस्ट पार्टी 'Pan-Arab Ba'ath Party'के साथ जुड़ गए. आगे चलकर 1962 में इराक में हुए सैन्य विद्रोह में सद्दाम हुसैन बड़ा चेहरा बने. इसके बाद 1668 में एक बार फिर से बगावत शुरू हुई, जिसमें जनरल अहमद हसन अल बक्र के साथ मिलकर महज 31 साल की उम्र में सद्दाम हुसैन ने सत्ता हथिया ली. 

8 साल तक चला युद्ध

इजराइल और हमास के बीच शुरू हुई जंग को काफी समय हो गया है लेकिन ये अभी सद्दाम हुसैन के शूरू की जंग से कापी दूर है. 1980 में नई इस्लामिक क्रांति के प्रभावों को कमजोर करने के इरादे से पश्चिमी ईरान की सीमाओं में अपने सैनिक भेजे, यहां से शुरू हुई जंग लगऊग 8 सालों तक चली थी. इराक की ये जंग ईरान के साथ थी जो 8 साल तक चली. इस जंग में लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई. 1988 में दोनों देशों की ये जंग खत्म हुई थी. 

 

सद्दाम के नाम 'ब्लड कुरान'

सद्दाम हुसैन को एक तानाशाह के तौर पर जाना जाता है. खून खराबा, मासूम लोगों पर जुल्म करके सद्दाम ने एक अच्छा काम करने की नीयत से कुरान लिखवाया. द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सद्दाम अल्लाह के लिए अपने प्यार को दिखाना चाहता था जिसके लिए उसने सालों के में अपना 27 लीटर खून दिया. इस खून का इस्तेमाल स्याही के तौर पर कुरान लिखने में किया गया, ये कुरान 605 पन्नों का बना है. 

148 लोगों का कत्ल 

1982 में जुलाई के महीने में सद्दाम हुसैन पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वो बच गए. इस हमले के बाद सद्दाम ने बदला लेने के लिए  शिया बाहुल्य दुजैल गांव में लगभग 148 लोगों का कत्ल करवा दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सद्दाम जो कत्ले आम मचाया इसमें अमेरिका ने उसका साथ दिया था. अमेरिका ने भले ही सद्दाम का साथ दिया हो लेकिन सद्दाम ने बगदाद में एक होटल बनवाया जहां पर गेट के हॉल में जो टाइल्स लगी थी उसमें उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश की तस्वीरें बनी थीं. 

 

तानाशाही का अंत ऐसे होता है!

सद्दाम पर अल-दुजय शहर के लोगों की हत्या का आरोप लगा, ये वही मामला था जहां पर 148 लोगों की हत्या कराई गई थी. इस मामले की 9 महीने तक सुनवाई चली जिसमें सबी आरोपों में सद्दाम को दोषी मानते हुए मौत की सजा दी गई. 30 दिसंबर 2006 का वो दिन था जब दुनिया से एक तानाशाह का खात्मा हुआ था, सद्दाम को इस दिन फांसी दी दे दी गई. उनका शव कहां ले जाया गया इसके बारे में किसी को नहीं बताया गया. 

सद्दाम का अब जिक्र क्यों?

इजराइल और फिलिस्तीन में जंग जारी है, जिस तरह से गाजा, राफा में इजराइल कत्ले आम मचा रहा है उसको लोगो तानाशाही से जोड़कर देख रहे हैं. सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें दावा किया जा रहा है कि जब सद्दाम हुसैन जिंदा थे तब बस एक महिला पर हुए जुल्म को सुनकर और उस महिला की आंखों में आंसू देखकर उन्होंने इजराइल पर 48 मिसाइलें दाग दी थी. दावे में कहा जा रहा है कि राफा में जिस तरह से जुल्म हो रहा है उसको देखकर वो कभी चुप नहीं रहते. इराक के इडराइल पर हमले की कितनी सच्चाई है इसकी हम पुष्टि नहीं करते हैं ये बस सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो है. 

First Updated : Thursday, 30 May 2024