भारत पर कोई प्रेशर नहीं, अमेरिका की धरती से ऐसा क्यों बोले हरदीप सिंह पुरी

Hardeep Singh Puri: अपने अमेरिका दौरे पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वाशिंगटन में मीडिया से बात की है. इस दौरान उन्होंने देश विदेश के कई मामलों पर भारत सरकार के रुख पर चर्चा की है. वहीं देश पर किसी भी मामले को लेकर कैसे भी दबाव से इनकार किया है. युद्ध के मामलों को लेकर उन्होंने PM मोदी के संदेश को दोहराया है. आइये जानें उन्होंने क्या-क्या कहा

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Hardeep Singh Puri: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी अमेरिका के दौरे पर हैं. यहां वो कई कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. सोमवार को उन्होंने मीडिया से बात करते हुए मोदी सरकार के लक्ष्य के बारे में बात की है. उन्होंने ANI से बात करते हुए कहा कि सरकार के पहले 100 दिनों में पिछले 10 वर्षों में किए गए कामों का जारी रखा गया है. हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत बनाना है. इसके साथ ही केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री ने विशेष रूप से अमेरिका-भारत सामरिक ऊर्जा सहयोग साझेदारी की बात की. वो इस विषय पर अमेरिका के ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रानहोम से चर्चा भी करेंगे.

केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी अमेरिका के दौरे पर कई मुद्दों पर बात की है. उन्होंने शांति और कूटनीति, युद्ध के अंत के लिए बातचीत की आवश्यकता, रूस-यूक्रेन संघर्ष और भारत की भूमिका को लेकर भी बात की है. आइये जानें उन्होंने क्या-क्या कहा है?

शांति और कूटनीति की दिशा में भारत की पहल

पुरी ने बताया कि भारत ने अपने G20 अध्यक्षता और पीएम मोदी या अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के बयानों के माध्यम से युद्ध विराम और संघर्ष समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. पीएम मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रूस यात्रा पर पूछे जाने पर, पुरी ने कहा, "मैं मानता हूं कि सभी शांति-प्रेमी देश अंततः प्रधानमंत्री के उस आह्वान का समर्थन करेंगे कि यह कूटनीति और शांति का समय है, न कि युद्ध का."

युद्ध का अंत और बातचीत की आवश्यकता

उन्होंने आगे कहा कि युद्धों को अनिश्चित काल तक जारी नहीं रखा जा सकता. चाहे मध्य पूर्व के संघर्ष हों या दुनिया के अन्य हिस्सों में हो रही युद्ध की विभीषिका, उन्हें बातचीत की मेज पर लाया जाना चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की लगातार इस मुद्दे पर दिए गए बयानों का हवाला देते हुए कहा कि भारत इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

रूस-यूक्रेन संघर्ष और भारत की भूमिका

इससे पहले, जुलाई में पीएम मोदी ने रूस का दौरा किया था और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी. यह यात्रा रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के बाद उनकी पहली यात्रा थी. हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रूस का दौरा किया और BRICS सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लिया.

भारत पर दबाव की अफवाहों का खंडन

पुरी ने उन रिपोर्टों का खंडन किया जिनमें कहा जा रहा था कि अमेरिका भारत पर रूस के साथ सहयोग को लेकर दबाव बना रहा है. उन्होंने बताया कि यूरोप अभी भी रूस से अधिक ऊर्जा खरीदता है, जबकि भारत की तुलना में कम है। उन्होंने कहा कि रूस 2022 से पहले प्रतिदिन 13 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन कर रहा था, और अगर यह तेल बाजार से गायब हो जाता, तो तेल की कीमतें $120 से $130 प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं.

तेल की कीमतों और बाजार स्थिरता पर प्रभाव

पुरी ने यह भी कहा कि यूरोप अभी भी रूस से अधिक तेल खरीदता है और कुछ देशों को रूसी तेल पर छूट भी मिली है. उन्होंने बताया कि बाजार की स्थिरता और तेल की कीमतों को नियंत्रित रखने में सभी का हित है.

युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान: भारत की भूमिका

रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से चल रहे संघर्ष के बीच, भारत ने हमेशा संवाद और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के समाधान की बात की है. पीएम मोदी ने सितंबर 2022 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान कहा था कि "आज का युग युद्ध का नहीं है." इसके बाद उन्होंने खाद्य, ईंधन और उर्वरक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी जोर दिया था.

यूक्रेन यात्रा: शांति के लिए भारत का संदेश

पीएम मोदी ने अगस्त में यूक्रेन का दौरा किया था, जहां उन्होंने राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने शांति स्थापित करने के लिए बातचीत और कूटनीति पर भारत की स्थिति को स्पष्ट किया. ज़ेलेंस्की ने भी इस विश्वास को दोहराया कि भारत इस संघर्षग्रस्त क्षेत्र में शांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

First Updated : Tuesday, 17 September 2024