ट्रंप के इस विदेश मंत्री का नाम सुनते कई देशों में क्यों मचने लगा है हड़कंप? जानें कौन हैं मार्को रुबियो
Marco Rubio: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में इतिहास लिखने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को शपथ ग्रहण से पहले अपने विभिन्न विभागों के मंत्रियों की तलाश शुरू कर दी है. इसमें अमेरिका के सबसे खास विदेश मंत्रालय के लिए मार्को रुबियो का नाम सामने आ रहा है.
Marco Rubio: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ट्रंप ने सोमवार को अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के पद के लिए चुना है. इस फैसले के बाद, कई देशों में चर्चा शुरू हो गई है, क्योंकि मार्को रुबियो अमेरिका के मुख्य भू-राजनीतिक दुश्मनों, जैसे चीन, ईरान और क्यूबा के खिलाफ बहुत आक्रामक रहे हैं. वहीं, भारत के प्रति उनका रुख बहुत सकारात्मक रहा है, और वह भारत के अच्छे दोस्त माने जाते हैं.
मार्को रुबियो अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के निवासी हैं और उनकी उम्र 53 साल है. यदि वह विदेश मंत्री बनते हैं, तो वह इस पद पर बैठने वाले पहले लातीनी व्यक्ति होंगे. ट्रंप के करीबी सहयोगी के रूप में, रुबियो ने अमेरिका की विदेश नीति में बदलाव की बात की है, खासकर चीन, ईरान और क्यूबा के मामले में. उनके विचार ट्रंप से मेल खाते हैं और दोनों की नीतियों में समानता है.
रुबियो को विदेश मंत्री क्यों चुना गया?
ट्रंप ने पहले ही आरोप लगाया है कि अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति, जैसे जो बाइडेन, ने देश को कई महंगे और निरर्थक युद्धों में झोंका. ट्रंप अब अमेरिका की विदेश नीति को अधिक संयमित और सुरक्षित बनाना चाहते हैं. सूत्रों के अनुसार, ट्रंप को लगता है कि रुबियो इस भूमिका के लिए सबसे फिट हैं, इसलिए उन्होंने उन्हें विदेश मंत्री बनाने का निर्णय लिया है. हालांकि, ट्रंप और रुबियो के प्रतिनिधियों ने इस फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
अमेरिका के सामने नई चुनौतियां
ट्रंप की अगली सरकार के सामने दुनिया में कई बड़ी चुनौतियां हैं, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य-पूर्व के संघर्ष और अमेरिका के दुश्मन देशों जैसे रूस और ईरान से चीन की बढ़ती साझेदारी. इन सब चुनौतियों से निपटने के लिए नए प्रशासन को मजबूत रणनीति की जरूरत होगी.
रुबियो का यूक्रेन संकट पर रुख
मार्को रुबियो ने हाल ही में कहा था कि यूक्रेन को रूस से छीने गए क्षेत्रों को वापस पाने पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि रूस के साथ बातचीत के जरिए समझौता करना चाहिए. वह यूक्रेन के लिए 95 अरब डॉलर के सैन्य सहायता पैकेज के खिलाफ थे. उनके इस रुख से यह जाहिर होता है कि रुबियो रूस के खिलाफ तो हैं, लेकिन वह युद्ध को बातचीत से समाप्त करने के पक्षधर हैं.
रुबियो का चयन क्यों महत्वपूर्ण है?
मार्को रुबियो का विदेश मंत्री के रूप में चयन न सिर्फ अमेरिका के लिए, बल्कि लैटिन अमेरिका के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है. ट्रंप ने हाल के चुनावों में डेमोक्रेट पार्टी की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को लैटिन अमेरिकी समुदाय में बड़ी जीत हासिल करने के बाद हराया. इस चुनावी जीत को देखते हुए ट्रंप ने लातीनी वोटरों को और आकर्षित करने के लिए रुबियो को विदेश मंत्री चुना है.
रुबियो के करीबी सहयोगी, मौरिसियो क्लेवर-कैरोन, जो इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक के पूर्व अध्यक्ष हैं, ने कहा कि अगर रुबियो विदेश मंत्री बनते हैं, तो वह लैटिन अमेरिका को अमेरिका की विदेश नीति में अधिक महत्व देंगे. उनका मानना है कि इस बदलाव से लैटिन अमेरिका की स्थिति अमेरिकी राजनीति में महत्वपूर्ण हो जाएगी. इस तरह, रुबियो का चयन न सिर्फ अमेरिका, बल्कि पूरे लैटिन अमेरिकी क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है.