2 लाख महिलाओं की इज्ज़त का सौदागर, 7000 लोगों का कातिल टिक्का खान बांग्लादेश हिंसा के बीच चर्चा में क्यों

Tikka Khan: बांगलादेश में रविवार को दोबारा हुई हिंसा में करीब 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कुल मौतों का आंकड़ा 300 के पर पहुंच गया है. वहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और दिल्ली पहुंच चुकी हैं. इस बीच हाली में जारी हिंसा ने बांग्लादेश के इतिहास की सबसे भयानक घटना की याद दिला दी है. जिसके जिक्र से ही लोगों की रूह कांप जाती है.

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Tikka Khan: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हिंसक झड़पों और कई मौतों के बाद हालात बिगड़ गए हैं. देश लगातार प्रदर्शन कारियों की हिंसा के चपेट में है. इस बीच देश में बीते दिन रविवार को दोबारा हुई हिंसा में करीब 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कुल मौतों का आंकड़ा 300 के पर पहुंच गया है. वहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और दिल्ली पहुंच चुकी हैं. इस बीच हाली में जारी हिंसा ने बांग्लादेश के इतिहास की सबसे भयानक घटना की याद दिला दी है. जिसमें एक रात में 7 हजार लोगों का नरसंहार. 9 महीने में 2 लाख औरतों और लड़कियों के बलात्कार को अंजाम दिया गया था. 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में जारी हिंसा में हुई  इतनी मौतों के बाद सोशल मीडिया पर एक ऐसे शख्स का जिक्र हो रहा है, जो इन  7 हजार लोगों का नरसंहार. 9 महीने में 2 लाख औरतों और लड़कियों के बलात्कार का जिम्मेदार था. जिसे बांग्लादेश का कसाई कहा जाता है.

बांग्लादेश का कसाई

बांग्लादेश का कसाई कहे जाने वाले इस शख्स का नाम था टिक्का खान. पाकिस्तान के पहले थल सेनाध्यक्ष और 4 स्टार जनरल टिक्का खान का जन्म फरवरी, 1915 को रावलपिंडी के पास एक गांव में हुआ था. ऐसें में जानते हैं उस रात की कहानी के बारे में जब इस भयानक घटना को अंजाम दिया गया था. 

नाम के जिक्र से सहम जाता था दिल 

टिक्का खान ने इस तरह की बर्बरता मचाई थी कि उसके नाम के जिक्र से ही लोगों का दिल डर के मारे सहम जाता था.  रावलपिंडी के गांव में जन्मे टिक्का खान ने देहरादून के भारतीय सैन्य अकादमी से पढ़ाई की और 1935 में ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हुआ.1940 में कमीशंड ऑफिसर बनने के बाद जर्मनी के खिलाफ दूसरे विश्व युद्ध में हिस्सा लिया.1947 में जब भारत और पाकिस्तान अलग हुए तो टिक्का खान ने पाकिस्तान को चुना और वहां की सेना में मेजर पद की जिम्मेदारी संभाली. वहीं 1965 में हुई भारत-पाक युद्ध में भी हिस्सा लिया.

कब शुरू ही टिक्का खान की बर्बरता ?

टिक्का खान की बर्बरता की कहानी 1969 में शुरू हुई जब पाकिस्तान में याह्या खान ने राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली.  यह वही समय था जब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के अलग होने की मांग तेज हो गई थी. हालात बिगड़ने लगे थे. इस दौरान हालात पर काबू पाने के लिए टिक्का खान को पूर्वी पाकिस्तान भेजा गया,  लेकिन यहां पहुंचते ही  उसने सैन्य कार्रवाई को अंजाम देना शुरू कर दिया है.  इस बीच उसने सख्ती से अपना ऑपरेशन चलाया जिसे नाम दिया ऑपरेशन सर्चलाइट. इस बीच अपने पूरे ऑपरेशन के दौरान उसने इंसानों के साथ जानवरों की तरह सुलूक किया.  उसके ऑपरेशन में एक रात ऐसी भी आई जब उसने बर्बरता की हदें पार कर दी.

7 हजार नरसंहार, 2 लाख महिलाओं का रेप 

इस बीच लोगों के विरोध को दबाने के लिए बच्चे और महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक को मौत की नींद सुला डाली.  इसके साथ ही  एक रात में 7 हजार लोगों का नरसंहार किया. टिक्का खान के नरसंहार की कहानी लिखने वाले रॉबर्ट पेन ने अपनी किताब में बताया है कि 1971 में 9 महीनों के अंदर दो लाख औरतों और लड़कियों का बलात्कार किया गया. यह घटना दुनियाभर में सुर्खियां बनी थी. टाइम मैग्जीन ने टिक्का खान की बर्बरता को बताते हुए उसे ‘बांग्लादेश का कसाई’ कहा था.

पाकिस्तान सेना में मिला सबसे बड़ा प्रमोशन

इस दौरान बांग्लादेश में जब तक हालात नॉर्मल हुई तब तक टिक्का खान की बदनामी की चर्चा पूरे विश्व में हो चुकी थी. पाकिस्तान के लोगों ने भी उसकी इस हरकत की आलोचना की, लेकिन इसके बावजूद उस पर कोई असर नहीं हुआ. ऑपरेशन सर्चलाइट को अंजाम देने के बाद पाकिस्तानी सेना में उसका कद और बढ़ गया. प्रमोशन पर प्रमोशन मिलते चले गए. तीन साल बाद 1972 में उसे पाकिस्तान का पहला थल सेना अध्यक्ष बनाया गया.

करीब 4 साल तक इस पद पर रहने के बाद रिटायर हो गया. 87 साल की उम्र में 28 मार्च, 2002 को रावलपिंडी में टिक्का खान ने दुनिया को अलविदा कह दिया. 


First Updated : Monday, 05 August 2024