आखिर क्यों साउथ कोरिया में लगा मार्शल लॉ? राष्ट्रपति यून सुक योल ने बताई वजह
South Korea Martial Law: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सूक योल ने मंगलवार को मार्शल लॉ की घोषणा कर दी है. राष्ट्रपति यून सूक योल ने कहा कि यह फैसला देश को "राष्ट्रीय बर्बादी" से बचाने और "राज्य विरोधी ताकतों" को समाप्त करने के लिए लिया गया है.
South Korea Martial Law: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सूक योल ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया. यह कदम 1987 में देश के लोकतंत्रीकरण के बाद पहली बार उठाया गया है. राष्ट्रपति ने कहा कि यह फैसला देश को "राष्ट्रीय बर्बादी" से बचाने और "राज्य विरोधी ताकतों" को समाप्त करने के लिए लिया गया है.
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में उत्तर कोरिया समर्थक ताकतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही और संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा किया. उन्होंने देशवासियों से समर्थन की अपील करते हुए कहा कि कुछ असुविधाओं को सहन करना होगा ताकि देश को सामान्य स्थिति में वापस लाया जा सके.
मार्शल लॉ के पीछे का कारण
राष्ट्रपति यून सूक योल ने अपने संबोधन में विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि उन्होंने संसदीय प्रक्रियाओं को बंधक बनाकर दक्षिण कोरिया को संकट में धकेला है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए उनके पास मार्शल लॉ लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.
सेना का बयान और प्रतिबंध
राष्ट्रपति की घोषणा के तुरंत बाद, दक्षिण कोरियाई सेना ने कहा कि सभी संसदीय और राजनीतिक सभाएं जो "सामाजिक भ्रम" फैला सकती हैं, उन्हें स्थगित कर दिया जाएगा. इसके अलावा, सेना ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को 48 घंटे के भीतर काम पर लौटने का निर्देश दिया है. डॉक्टर मेडिकल स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने की सरकार की योजना के विरोध में हड़ताल पर हैं.
अस्थिरता और अनिश्चितता का माहौल
हालाँकि, इस स्थिति में सरकार द्वारा उठाए जाने वाले विशेष उपायों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. इसके साथ ही यह भी नहीं बताया गया कि मार्शल लॉ कितने समय तक प्रभावी रहेगा. राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया कि वह जल्द ही राज्य विरोधी ताकतों का सफाया करेंगे और देश को सामान्य स्थिति में वापस लाएंगे.
इतिहास में पहली बार ऐसा कदम
यह उल्लेखनीय है कि दक्षिण कोरिया में पिछली बार अक्टूबर 1979 में मार्शल लॉ लागू किया गया था. इसके बाद 1987 में लोकतंत्रीकरण के बाद ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया था. वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए यह कदम दक्षिण कोरिया के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है.