मैं भारत की जनता की ओर से..जब पहली बार दुनिया ने सुनी थी भारत की आवाज, अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिली हिंदी को पहचान

World Hindi Day: अटल बिहारी वाजपेयी भारत के ऐसे महान राजनेता थे जिन्होंने राजनीति में ईमानदारी, कूटनीति और विकास को प्राथमिकता दी. वाजपेयी पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने 1977 में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर भारत का मान बढ़ाया. आज हम आपको विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं जो अटल जी से जुड़ी हुई है तो चलिए जानते हैं.

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World Hindi Day: 4 अक्टूबर 1977 का दिन भारत के लिए बेहद खास है. इस दिन भारत की मातृभाषा हिंदी को विश्व भर में पहचान मिली थी. इस दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में पहली बार हिंदी में भाषण देकर इतिहास रच दिया. ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय नेता थे. तो चलिए आज विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर उस दिन को याद करते हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी का यह भाषण हिंदी के लिए ऐतिहासिक था. उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय भाषाएं भी वैश्विक स्तर पर अपनी जगह बना सकती हैं. उनके इस साहसिक कदम ने हिंदी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई.  

अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक भाषण

अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कई महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर बात की. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद, फिलिस्तीन के हालात, नामीबिया की अस्थिरता और जिंबाब्वे के उपनिवेशवाद जैसे विषयों को अपने भाषण में शामिल किया. उन्होंने कहा,  "भारत सदा इस बात में भरोसा करता है कि उसके लिए पूरी दुनिया एक परिवार है. हमारे देश में वसुधैव कुटुंबकम की यह परिकल्पना बेहद पुरानी है." उनके इस विचार ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को भारत की प्राचीन संस्कृति और सोच से परिचित कराया.

दक्षिण अफ्रीका के नस्लभेद पर कड़ा संदेश

अटल बिहारी वाजपेयी ने अफ्रीका में हो रहे नस्लभेद की कड़ी आलोचना की. उन्होंने सवाल उठाया, "क्या जनता को स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, या फिर रंगभेद और नस्लभेद में विश्वास रखने वाले कुछ लोग बहुमत पर अन्याय करते रहेंगे?" उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि दुनिया में न्याय और समानता के लिए प्रयास किए जाएं.

फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत का स्पष्ट रुख

अपने भाषण में अटल जी ने फिलिस्तीन की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि लाखों फिलिस्तीनियों को उनके घरों से बेदखल करना और इजरायल द्वारा वेस्ट बैंक और गाजा में नई बस्तियां बसाना अस्वीकार्य है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि इन मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाया जाए, ताकि वैश्विक शांति बनी रहे.  

लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर बल

अटल जी ने भारत में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की मजबूती का जिक्र करते हुए कहा, "हमने अपने देश में भय और आतंक के वातावरण को खत्म कर दिया है. अब हम ऐसे संवैधानिक कदम उठा रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि लोकतंत्र और आजादी का कभी उल्लंघन न हो."

जय जगत: भाषण का प्रभाव

अटल जी ने अपने भाषण का समापन "जय जगत" के साथ किया. उन्होंने कहा कि भारत न तो परमाणु शक्ति है और न ही वह विश्व में प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है. उनके इस संबोधन के बाद महासभा में तालियों की गड़गड़ाहट गूंजी, और भारत की विश्व मंच पर प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई मिली. First Updated : Friday, 10 January 2025