कौन थी 'कंफर्ट वूमन', जिनके साथ जापानी सैनिक करते थे दरिंदंगी, दशकों तक छिपाया सच

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना जहां-जहां अपनी छावनियां बनाती थी, वहां 'कंफर्ट वूमन' को भी रखा जाता था. ये महिलाएं जबरन यौन दासता के लिए मजबूर की जाती थी. जब इस अमानवीय प्रथा का खुलासा हुआ, तो दुनियाभर में हड़कंप मच गया. अगर किसी जापानी सैनिक को किसी 'कंफर्ट वूमन' से प्यार हो जाता था, तो इसे बड़ा अपराध माना जाता था. आज हम आपको इसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

द्वितीय विश्व युद्ध का एक काला अध्याय ‘कंफर्ट वूमन’ प्रथा थी, जिसमें जापानी सेना ने हजारों महिलाओं को जबरन यौन दासता के लिए मजबूर किया. ये महिलाएं चीन, कोरिया, फिलीपींस, वियतनाम और अन्य देशों से लाई गई. उनका एकमात्र काम जापानी सैनिकों का मनोरंजन और उनकी शारिरक इच्छाओं की पूर्ति करना था. कई महिलाओं को झूठे वादों से फंसाया गया, जबकि कुछ को अपहरण कर लाया गया. इस अमानवीय प्रथा के खुलासे के बाद दुनियाभर में जापान की कड़ी आलोचना हुई.

कंफर्ट वूमन कौन थीं?  

‘कंफर्ट वूमन’ उन महिलाओं को कहा जाता था, जिन्हें जापानी सेना ने जबरदस्ती अपने यौन शोषण के लिए भर्ती किया था. ये महिलाएं चीन, कोरिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और अन्य प्रशांत द्वीपों से लाई जाती थी.  

कहां थे ये कंफर्ट स्टेशन?

जापानी सेना ने चीन, कोरिया, फिलीपींस, बर्मा, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलय (मलेशिया) और प्रशांत द्वीपों में 'कंफर्ट स्टेशन' बनाए थे. इन स्थानों पर महिलाओं को सैनिकों की सेवा के लिए मजबूर किया जाता था.  

कैसा था इन महिलाओं का जीवन?  

कंफर्ट महिलाओं को प्रतिदिन कई सैनिकों के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता था. उन्हें किसी भी तरह की आजादी नहीं थी. अगर वो इसका विरोध करती थी तो उन्हें कठोर दंड दिया जाता था. असुरक्षित यौन संबंधों के कारण कई महिलाएं बीमार हो गईं, गर्भवती हुई और कई बार उन्हें जबरन गर्भपात कराया गया. जो महिलाएं भागने की कोशिश करती थी, उन्हें गंभीर सजा दी जाती थी, कुछ को मार भी दिया जाता था.  

जब जापानी सैनिक को प्यार हो जाता था

अगर कोई जापानी सैनिक किसी कंफर्ट वूमन से प्यार कर बैठता था, तो इसे सख्त अपराध माना जाता था. ऐसे मामलों में सैनिक को जेल भेज दिया जाता था, जबकि महिला को शारीरिक यातनाएं दी जाती थीं.  

युद्ध के बाद क्या हुआ?  

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद जापान ने इस अमानवीय प्रथा को खत्म कर दिया, लेकिन दशकों तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी. 1990 के दशक में जब कुछ पीड़ित महिलाएं सामने आईं, तब यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरकर आया.

जापान ने मांगी माफी, लेकिन

1993 में जापान ने 'कोनो स्टेटमेंट' जारी कर इस काले अध्याय को स्वीकार किया. 2015 में जापान और दक्षिण कोरिया के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें जापान ने पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजा देने का वादा किया. हालांकि, कई जापानी राष्ट्रवादी इसे अब भी नकारते हैं.  

दूसरे देशों में भी हुआ ऐसा  

- नाजी जर्मनी: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने भी 'वेहरमाच्ट-बोर्डेल' नामक वेश्यालय बनाए, जहां महिलाओं को जबरन रखा गया.  

- सोवियत संघ: 1945 में बर्लिन पर कब्जे के दौरान हजारों महिलाओं के साथ रेप किए गए.  

- अमेरिका और मित्र राष्ट्र: कोरियाई और वियतनामी युद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिकों के लिए भी वेश्यालय चलाए गए थे.  

- बोस्निया युद्ध (1992-1995): इस युद्ध के दौरान हजारों महिलाओं को 'रेप कैंप' में यातना दी गई.  

आज भी कायम है दर्द  

दुनियाभर में इस भयावह इतिहास को याद रखने के लिए कई स्मारक बनाए गए हैं. जापान से अब भी इस मुद्दे पर पूरी जिम्मेदारी लेने की मांग की जा रही है. 

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01 March 2025, 01:37 PM IST

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