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सेक्स की हैवानियत, हर जिस्म बना निशाना, हर रूह बनी शिकार-इजरायली जेलों से निकली शर्मनाक सच्चाई

गाजा से लौटे फिलिस्तीनी बंदियों ने इजरायली सेना की क्रूरता का भयानक सच उजागर किया है. इन बंदियों ने बताया कि उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाओं का शिकार होना पड़ा, जिनमें जलाने से लेकर यौन उत्पीड़न तक शामिल थे. इनकी कहानियां दिल दहला देने वाली हैं, लेकिन इजरायली सेना ने इन आरोपों को नकारा है. यह सब तब हुआ जब इजरायल ने गाजा और वेस्ट बैंक में सैन्य कार्रवाई तेज़ की, जिसके बाद हजारों निर्दोष फिलिस्तीनी नागरिकों को बिना किसी आरोप के हिरासत में लिया गया. क्या यह सच है या सिर्फ आरोप? जानिए पूरी कहानी और खुद फैसला करें.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

गाजा पट्टी से रिहा हुए फिलिस्तीनी नागरिकों की आँखों में आज़ादी की चमक तो है, लेकिन उनके चेहरे पर बीती हुई यातनाओं की गहरी छाया भी दिखाई देती है. ये वही लोग हैं जिन्हें अक्टूबर 7, 2023 के बाद इजरायल द्वारा गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इन पर कोई ठोस आरोप नहीं थे. अब जब ये लोग वापस लौटे हैं, तो उन्होंने इजरायली सेना द्वारा किए गए अमानवीय अत्याचारों की दर्दनाक सच्चाई दुनिया के सामने रखी है.

36 वर्षीय मोहम्मद अबू ताविलेह ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि उन्हें तीन दिन तक एक छोटे से कमरे में बंद करके रासायनिक पदार्थों से जलाया गया. उन्होंने कहा, "पहले मेरे सिर को रासायनिक पदार्थों में डुबोया गया और फिर एयर फ्रेशनर छिड़ककर आग लगा दी गई." वह कहते हैं, "मैं जानवर की तरह तड़प रहा था, मेरी गर्दन से लेकर पैर तक आग फैल गई थी." इसके बाद उन्हें बंदूक की बट और डंडों से भी बुरी तरह पीटा गया और शरीर पर तेजाब डाला गया. इन यातनाओं ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया.

शारीरिक यातनाओं के अलावा, मानसिक आघात भी

अन्य रिहा हुए बंदियों ने भी अपनी दर्दनाक कहानियाँ सुनाईं. 44 वर्षीय हमद अल-दहदोह ने बताया कि उन्हें इजरायली सैनिकों द्वारा बुरी तरह पीटा गया, जिससे उनकी पसलियाँ टूट गईं और रीढ़ की हड्डी को भी गंभीर नुकसान हुआ. कुछ बंदियों ने यह भी बताया कि हिरासत में उन्हें यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा. इसके अलावा, कई लोगों ने यह बताया कि उन्हें कुत्तों से कटवाया गया और घंटों तक यातनापूर्ण पोजीशन में बैठने के लिए मजबूर किया गया.

इजरायली सेना का खंडन: आरोपों को नकारा

इन गंभीर आरोपों पर इजरायली सेना ने कहा कि वह किसी भी प्रकार के "व्यवस्थित दुरुपयोग" को नकारती है. उनका कहना था कि कुछ मामलों की जांच की जाएगी, लेकिन अधिकांश आरोपों में पहचान या पर्याप्त विवरण नहीं हैं. इजरायली जेल प्रशासन ने भी इन आरोपों को खारिज किया है और कहा कि उन्हें इन घटनाओं की कोई जानकारी नहीं है.

गाजा और वेस्ट बैंक में इजरायली सेना की हिंसा

यह सब उस समय हो रहा है जब 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था, जिसमें 1200 से अधिक इजरायली नागरिकों की जान चली गई थी. इसके बाद इजरायल ने गाजा और वेस्ट बैंक में अपनी सैन्य कार्रवाई को और तेज़ कर दिया, जिसमें 50,000 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई और हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन गिरफ्तारियों में से कई को बिना किसी आरोप के महीनों तक हिरासत में रखा गया.

गाजा से लौटे इन रिहा हुए बंदियों की कहानियां अब इजरायली सेना की क्रूरता की एक भयावह तस्वीर पेश करती हैं. इनकी यातनाएं केवल इन बंदियों की नहीं, बल्कि एक संघर्ष की भी कहानी हैं, जो बिना किसी कारण या उद्देश्य के मासूम लोगों को आहत कर रही है. इन घटनाओं ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि युद्ध और हिंसा के दौरान मानवीय मूल्यों की कोई क़ीमत नहीं रह जाती.

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08 April 2025, 01:16 PM IST

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