सावधान बीमारी बांट रहे हैं जूस स्टॉल
सूरज दादा के तेवर सख्त होते ही पसीने की लहर शुरू हो जाती हैं। बढ़ता हुआ तापमान प्यास की शिद्दत को भी बढ़ा देता है। ऐसे में जब आप सड़क पर कहीं जा रहे हो और गला सूख रहा हो तो इस बात का खास ध्यान रखिएगा कि आप की प्यास तो बुझे लेकिन इस प्यास को बुझाने के चक्कर में आप बीमारियों को दावत ना दे दे।
सूरज दादा के तेवर सख्त होते ही पसीने की लहर शुरू हो जाती हैं। बढ़ता हुआ तापमान प्यास की शिद्दत को भी बढ़ा देता है। ऐसे में जब आप सड़क पर कहीं जा रहे हो और गला सूख रहा हो तो इस बात का खास ध्यान रखिएगा कि आप की प्यास तो बुझे लेकिन इस प्यास को बुझाने के चक्कर में आप बीमारियों को दावत ना दे दे।
दरअसल, गर्मियों का मौसम आते ही सड़कों पर विभिन्न तरह के जूस आदि बिकने शुरू हो जाते हैं। जहां ना सफाई का ध्यान रखा जाता है ना ही किसी तरह की हाइजीनिक (hygienic)व्यवस्था होती है। ऐसे में गले सड़े फल गन्ने आदि का जूस किसी को भी बीमार कर सकता है। 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में प्यास की शिद्दत इंसान को कुछ भी पीने को मजबूर कर देती है कि यानी कुछ भी मिले उसे पीकर प्यास बुझाई जा सके। ठंडा जूस निश्चित रूप से तपती गर्मी में इंसान को तरोताज़ा कर देता है लेकिन इस ताज़गी के सौदे को सोच समझकर कीजिएगा। वरना ऐसा ना हो कि ताजगी का सौदा आपको अस्पताल के बिस्तर तक पहुंचा दे।
इन बीमारियों से बचने के लिए बेहतर ये होगा कि घर से जब भी निकले साफ पानी लेकर निकले। अपना ही पानी इस्तेमाल करें और अगर आपको बाहर प्यास लगे या मन करे तो पैक्ड ड्रिंकिंग वॉटर(Packed Drinking Water), पैक्ड जूस ही इस्तेमाल करें। अगर खुले जूस को पीने का भी मन हो तो यह सुनिश्चित कर ले कि जूस विक्रेता ने साफ सफाई का ध्यान रखा है या नहीं।
फिलहाल गर्मी के सीजन में जल जनित बीमारियां तेजी से पांव पसारती है। ऐसे में सावधानी की आवश्यकता है ताकि अपने काम को अंजाम देते समय स्वास्थय का भी ध्यान रखा जा सके।