150 साल पुरानी है मेरठ की असली गुड़ की गजक, जानें पुरानी कहानी

सर्दियां आते ही बाजारों में कई तरह की गजक दिखने और बिकने लगती हैं। इसकी कई वैरायटी भी बाजार में मौजूद होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गजक को पहली बार किसने बनाया

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सर्दियां आते ही बाजारों में कई तरह की गजक दिखने और बिकने लगती हैं। इसकी कई वैरायटी भी बाजार में मौजूद होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गजक को पहली बार किसने बनाया?

दरअसल गुड़ और तिल की बनी एक मिठाई जैसी चीज की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुई थी। धीरे-धीरे लोगों ने इसे अपना कारोबार बना लियालेकिन आज इसी गजक की वजह से एक सफलता मेरठ के नाम होने वाली हैंक्योंकि मेरठ की इस गजक को जीआई टैग मिलने वाला है।

बदलने वाली है मेरठ में गजक कारोबार की तस्वीर

बता दें कि मेरठ के उद्योग विभाग ने इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। दरअसल जीआई टैग खरीदारों को गजक के बेमिसाल स्वाद, बनाने के तरीके और इसके पीछे की मूल कहानी की जानकारी हासिल करने में मदद करेगा। अधिकारी की मानें तो गजक के लिए जीआई टैग का प्रस्ताव कुछ दिन पहले भेजा गया था।

150साल पुरानी है मेरठ की गजक की कहानी

दरअसल मेरठ के स्थानीय निवासियों की मानें तो करीब 150साल पहले मेरठ शहर में गजक का उत्पत्ति हुई थी। उस वक्त यहां रहने वाले राम चंद्र सहाय ने गुड़ और तिल को मिलाकर एक स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किया था। गजक बनाने की प्रक्रिया में करीब दो दिन का समय लगता है जो कैंडी बनाने जैसा है।

ऐसे बनाई थी पहली बार मेरठ की गजक

  • सबसे पहले गुड़ और पानी को तब तक उबाला जाता है जब तक कि एक गाढ़ा घोल न बन जाए।
  • फिर इसे ठंडा किया जाता है।
  • घोल को फैलाकर सूखने के लिए लटका दिया जाता है।
  • इसके बाद इसे छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है।
  • इसमें तिल डाले जाते हैं और विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद इसे मनचाही आकृतियां दी जाती हैं।

समय के साथ बदला गजक का स्वरूप

लेकिन समय के साथ गजक के मूल स्वरूप में कई परिवर्तन देखने को मिले हैं। फिलहाल बाजार में खस्ता गजक, चॉकलेट गजक, काजू गजक, मलाई गजक, गजक रोल, गुड गजक और ड्राई फ्रूट गजक बाजार में मौजूद हैं। अब गजक निर्माता और विक्रेता नवीन मित्तल ने बताया कि मेरठ की गजक को जीआई टैग मिलने के बाद मेरठ की शान बढ़ेगी और कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।

इन देशों में सप्लाई होती है मेरठ की गजक

जानकारी के मुताबिक वर्तमान में मेरठ से कनाडा, लंदन, सऊदी अरब, सिंगापुर, अमेरिका और लंदन के साथ 18देशों के लिए इसका निर्यात किया जाता है। मेरठ में 500से ज्यादा गजक की दुकानें हैंजो बुढाना गेट, बेगम पुल, गुजरी बाजार और गढ़ रोड जैसे क्षेत्रों में स्थित हैं जिसमें सालाना करीब 80करोड़ रुपये का मुनाफा होता है।

क्या होता है जीआई टैग

जीआई टैग का पूरा नाम है Geographical Indication Tagइसे हिंदी में भौगोलिक संकेत टैग कहा जाता है जिसका मतलब एक ऐसा उत्पाद जिसकी खुद की एक भौगोलिक पहचान है यानी मेरठ की गजक यहां की एक पहचान है। First Updated : Thursday, 19 January 2023