मां के पास नहीं होता हार मानने का ऑप्शन, जानिए बदल जाता है क्या कुछ
किसी के भी लिए पेरेंट्स बनना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है। इसके लिए सबसे पहले आपको खुद को छोड़ना पड़ता है और अपने बच्चे के बारे में सबसे पहले सोचना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि इस सफर में बस खुशियां होती हैं बल्कि यहां सबसे ज्यादा चुनौतियां होती हैं।
किसी के भी लिए पेरेंट्स बनना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है। इसके लिए सबसे पहले आपको खुद को छोड़ना पड़ता है और अपने बच्चे के बारे में सबसे पहले सोचना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि इस सफर में बस खुशियां होती हैं बल्कि यहां सबसे ज्यादा चुनौतियां होती हैं। पैरेंट्स पर काफी जिम्मेमदारियां होती हैं और जरूरी नहीं कि आंखों से हमेशा खुशी के आंसू ही निकलें। कभी-कभी मानसिक और शारीरिक रूप से दर्द होने पर भी आंसू निकल जाते हैं।
देखा जाए तो बच्चे को अकेले अपने दम पर इस दुनिया में लाने का ख्याल और जिम्मेदारी कई औरतों को डरा देती है। कभी वो अपने बच्चे को लेकर ओवरप्रोटेक्टिव हो जाती हैं,इसका असर उनकी मेंटल हेल्थ् पर पड़ता है। तो जान लें कि मां बनने के बाद औरत के साथ क्या कुछ बदल जाता है...
शारीरिक बदलाव
जब एक औरत मां बनती है तो हार्मोनल उतार-चढ़ाव, बच्चे को गर्भ में रखने और स्तनपान कराने से महिला में शारीरिक बदलाव होते हैं। स्तनपान के दौरान आपकी हड्डियों से खनिज कम होते हैं जिससे कमजोरी और इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकिबच्चे के दूध छुड़ाने के बाद चीजें नार्मल हो जाती हैं।
ब्रेन में बदलाव
साइंटिफिक एक रिसर्च कहती है कि मां के दिमाग में कई तरह के बदलाव आते हैं। क्योंकि मां बनती हैं, पैदा नहीं होती हैं। इसलिए प्रेग्नेंएसी और मदरहुड के दौरान कई तरह के बदलाव आते हैं।
सोशल बदलाव
जब एक औरत मां बनती है तो मां से अपेक्षाएं हमेशा ऊंची होती हैं। और उससे उम्मीद की जाती है कि वो बच्चे को तैयार करे, एक परिवार को तैयार करे और खुद को तैयार करे। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता कि इससे उसका खुद का स्ट्रेस कितना बढ़ रहा है।