पॉक्स जिस बीमारी के साथ जुड़ता है उसका हिंदी में अर्थ चेचक होता है, यानी स्किन पर फोड़े- फफोड़े जैसे दाग होते है, इसके साथ कई लक्षण होते है। और इसके साथ कई और लक्षण होते है। इसके अलावा स्मॉल पॉक्स, चिकन पॉक्स जैसे कई सारे पॉक्स वायरस है। हालांकि इंटरनेशनल स्टैंडिंग 2015 में तय किया गया था कि किसी भी वायरस को किसी जगह, जॉग्राफी, जानवर, खाने, देश के नाम पर नहीं रखा जाएगा। लेकिन संयोग से मंकीपॉक्स नाम 1958 के वक्त रखा गया था। आइडियली इसे चेंज कर देना चाहिए। और मंकीपॉक्स की जगह कुछ और नाम देना चाहिए। खास करके अब 75 देशों में यह बीमारी फैल चुकी है।
वायरस मामलों के विशेषज्ञ व यशोदा हास्पिटल डायरेक्टर डॉ आर के मनि ने कहा कि मंकीपॉक्स से इतना भयभीत होने की जरूरत नही है, पर सावधान होने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि कोरोना वायरस ज्यादा खतरनाक है वह श्वस्न तंत्र के जारिए आसानी से फैलता है। वह फेफड़ों को निशाना बनाता है। यह ज्यादा घातक है। मंकीपाक्स का फैलना थोड़ा मुश्किल है। यह नया वायरस नहीं है। इसके लिए वैक्सीन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि मंकीपाक्स की व्यापक टेस्टिंग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जहां भी मंकीपाक्स के मरीज मिल रहे हैं वहां वैक्सीनेशन की रणनीति पर अमल करना होगा। उन्होंने चेताते हुए कहा कि मंकीपाक्स को लेकर भय फैलने की जरूरत नहीं है। First Updated : Monday, 25 July 2022