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World Sleep Day: क्या भारतीय बच्चे है नींद से वंचित? नींद पूरी न होने पर शरीर पर पड़ते है ये प्रभाव, जानिएं बच्चों को कितने घंटे की नींद चाहिए

ग्रोथ हार्मोन मुख्य रूप से रात के समय गहरी नींद में सोने के दौरान शुरूआत के घंटों में विकसित होते है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसी करण जल्दी सोने की सलाह दी जाती है।

Lalit Hudda
Edited By: Lalit Hudda

भारत दुनिया का दूसरे सबसे अधिक नींद से वंचित देश है। भारतीय बच्चे लंबे समय से नींद से वंचित है। इसका कारण घरों में देर से सोने की संस्कृति, माता-पिता काम से रात को देरी से लौटते है और फिर देर रात खाना खाते है। जिस कारण बच्चे जल्दी नहीं सो पाते है। वहीं स्कूल में जाने के दबाब में बच्चों को सोने के लिए काफी कम समय मिल पाता है। ये देर से सोने का समय शिशुओं और बच्चों के स्वाभाविक रूप से जागने के समय के साथ जुड़ा हुआ है।

अगर किशोरों की बात करें तो जिन किशोरों को सुबह उठना मुश्किल होता है या देर तक सोते है। उनमें आलस्य की कमी नहीं होती बल्कि उनका शरीर उनसे देर से सोने और देर से उठने की उम्मीद करता है। स्कूल के शुरुआती समय में किशोरों के लिए अपनी नींद की जरूरतों को पूरा करना असंभव हो जाता है, जिससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ते है।

शिशुओं में नींद की कमी शैशवावस्था (जन्म से छह साल की अवधि) में ही शुरू हो जाती है। इस बारे में माता-पिता को बहुत कम जानकारी होती है कि उनके बच्चों को वास्तव में कितनी नींद की जरूरत है। नींद हमारे सामान्य जीवन पर कैसे काम करती है और अपने बच्चों की पूरी नींद का समर्थन कैसे करें।

अनुशंसित नींद के घंटे

नवजात शिशु (0 से 3 माह) 17-18 घंटे

शिशु (4 से 12 महीने) 14-16 घंटे

छोटे बच्चे (1 से 3 साल) 12 से साढ़े 13 घंटे

स्कूली बच्चे (4 से 6 वर्ष) 12 घंटे

छोटे बच्चे (7 से 10 वर्ष) 10 से 11 घंटे

किशोर 9 से 10 घंटे

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह माता-पिता और समाज के लिए बड़े पैमाने पर बच्चों की नींद की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नींद के घंटे तय किए गए है। कहा जाता है कि हमारे शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए नींद सच में एक दवा के रूप में काम करती है। वहीं बच्चों के शरीरिक विकास के लिए नींद काफी महत्वपूर्ण होती है।

1. ग्रोथ हार्मोन मुख्य रूप से गहरी नींद के दौरान और आमतौर पर आधी रात से पहले सोने के घंटों में स्रावित होते हैं। यही कारण की रात में जल्दी सोने की सलाह दी जाती है।

2. नींद रक्त कोशिकाओं के साथ-साथ कोर्टिसोल या तनाव हार्मोन की मात्रा को नियंत्रित करती है, जिस कारण मधुमेह का खतरा कम रहता है।

3.  नींद की कमी लेप्टिन नामक हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित करती है। यह हमारे शरीर को संकेत देता है कि हमारा पेट भरा हुआ है। इस हार्मोन के बिना ही हम खाना जारी रखते है। वहीं समय के साथ, पर्याप्त नींद न लेने वाले बच्चे मोटापे के शिकार हो सकते हैं।

4. नींद के दौरान साइटोकिन्स नामक प्रोटीन उत्पन्न होते हैं, जो हमें संक्रमण, बीमारी और तनाव से लड़ने में मदद करते हैं। खराब नींद हमारी आंतों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। अध्ययन में पाया गया है कि रात के समय किशोरों को अधिक समय तक नींद लेने के साथ बीमारी के लक्षणों में कमी आई है।

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17 March 2023, 01:46 PM IST

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