7 साल की उम्र में यूपी की लड़की की हार्ट अटैक से हुई मौत, जानें बच्चों में क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा?

Heart Attack in kids: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में 7 साल की बच्ची की हार्ट अटैक से मौत ने सबको चौंका दिया. पहली कक्षा में पढ़ने वाली यह बच्ची खेलते समय अचानक गिर गई और सीने में दर्द की शिकायत की. विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में हार्ट अटैक के मामले दुर्लभ होते हैं, लेकिन खराब जीवनशैली, अस्वस्थ खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं. माता-पिता को बच्चों के स्वास्थ्य और दिनचर्या पर खास ध्यान देने की जरूरत है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Heart Attack in kids: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक 7 साल की मासूम बच्ची की हार्ट अटैक से मौत हो गई. बच्ची पहली कक्षा में पढ़ती थी और खेलते समय अचानक सीने में दर्द की शिकायत के बाद गिर गई. परिवार इस असामयिक घटना से सदमे में है. बच्चों में हार्ट अटैक के मामले बेहद दुर्लभ होते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में कुछ कारणों से इस तरह की घटनाओं में इजाफा देखने को मिल रहा है.

विशेषज्ञों का मानना है कि गलत जीवनशैली, खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी बच्चों में दिल की बीमारियों का बड़ा कारण बन रही है. इस लेख में हम जानेंगे कि बच्चों में हार्ट अटैक के क्या कारण हो सकते हैं और माता-पिता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

बच्चों में हार्ट अटैक के संभावित कारण

जेनेटिक हार्ट की बीमारियां

अगर बच्चे को जन्मजात दिल से संबंधित बीमारियां हैं, जैसे कि संरचनात्मक असामान्यताएं या मार्फ़न सिंड्रोम, तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है.

छाती में चोट

खेलते समय या किसी दुर्घटना में छाती पर चोट लगने से दिल की धड़कन रुक सकती है, जिससे हार्ट अटैक हो सकता है.

विद्युत प्रणाली में गड़बड़ी

दिल की विद्युत प्रणाली में समस्याएं, जैसे वोल्फ-पार्किंसन-व्हाइट सिंड्रोम या लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम, भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती हैं.

हृदय की मांसपेशियों में असामान्यताएं

हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी या फैली हुई कार्डियोमायोपैथी जैसी समस्याओं से हार्ट अटैक का खतरा रहता है.

संक्रमण

मायोकार्डिटिस जैसे संक्रमण दिल की मांसपेशियों को कमजोर कर सकते हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने की संभावना होती है.

ड्रग का ज्यादा इस्तेमाल

ड्रग्स या नशीले पदार्थों का उपयोग बच्चों में कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है.

बदलती जीवनशैली और फास्ट फूड कल्चर का प्रभाव

कार्डियोलॉजिस्ट्स के अनुसार, आजकल बच्चे फिजिकली एक्टिव नहीं रहते. फास्ट फूड कल्चर और पढ़ाई का तनाव उनकी सेहत पर बुरा असर डाल रहे हैं. बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है, जिससे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी समस्याएं हो रही हैं. घर पर भी जल्दी तैयार होने वाले अस्वस्थ ब्रेकफास्ट का सेवन इस समस्या को और बढ़ा रहा है.

पेरेंट्स को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • बच्चों को तनाव न लेने दें.
  • उनकी डाइट में हेल्दी चीजें शामिल करें और फास्ट फूड से बचाएं.
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज कराएं.
  • अगर बच्चे को डायबिटीज है, तो उसकी मॉनिटरिंग करें.
  • वजन ज्यादा हो तो फैट बर्न करने के लिए वर्कआउट करवाएं.

बच्चों की हेल्थ को लेकर विशेषज्ञों की सलाह

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की सेहत को लेकर लापरवाही न करें. अगर परिवार में किसी को हार्ट डिजीज है, तो बच्चों की नियमित जांच कराएं. शुरुआती संकेतों को इग्नोर न करें और समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लें.

समाज और पैरेंट्स की भूमिका

आज के दौर में बच्चों पर पढ़ाई का ज्यादा दबाव है. इसके साथ ही, बाहर का अस्वस्थ खानपान और कम उम्र में नशे की लत बच्चों की हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहे हैं. माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के खानपान और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें.

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14 December 2024, 11:53 PM IST

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