Child Health: गुमसुम हो रहा बचपन, खो रही खिलखिलाहट, वजह कहीं डिप्रेशन तो नहीं, जानें इसके लक्षण
डिप्रेशन यानी अवसाद एक मनोवैज्ञानिक विकार है, जो बच्चों में कई ऐसे कारणों से हो सकता है, जो उनके आस-पास मौजूद होते हैं। बच्चों को अवसाद मुक्त किया जा सकता है, बस जरूरत है तो बच्चों में डिप्रेशन के लक्षणों को पहचाने की, उसके पीछे मौजूद कारण जानने की और सही काउंसलिंग की।
हाइलाइट
- जब कभी आपको बच्चे का ऐसा बिहेवियर दिखे जो वह सामान्य तौर पर नहीं करता तो आपको ध्यान देने की जरूरत है।
पांचवीं क्लास में पढ़ने वाला राहुल एक होशियार और हंसमुख बच्चा था। स्कूल में टीचर्स के बीच, घर पर फैमिली में वह सबकी पसंद था। दोस्तों में भी वह काफी लोकप्रिय था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसका व्यवहार कुछ बदल सा गया। अब वह अपना फेवरेट क्रिकेट बेमन से खेलता। घर पर भी उदास रहता। डांट खाकर सुबह जाता और स्कूल में टीचर्स को जबाव नहीं दे पाता। जब टीचर्स और पेरेंट्स ने यह बात नोटिस की तो आपस में बात की, राहुल से भी काफी पूछा लेकिन वजह नहीं जान सके। ऐसे में एक परिचित के कहने पर पेरेंट्स राहुल को साइकोलॉजिस्ट के पास ले गए। साइकोलॉजिस्ट ने काउंसलिंग के बाद राहुल के उदास रहने की वजह डिप्रेशन (depression ) को बताया। साथ ही यह भी बताया कि स्कूल में क्लासमेट्स द्वारा परेशान करने और धमकाने की वजह से राहुल डिप्रेशन में आ गया है। खैर राहुल की सभी परेशानियों का हल निकाल लिया गया और अब वह पहले की तरह इंटेलीजेंट और खुशमिजाज है।
द फ्लो मेंटल हेल्थ क्लीनिक की क्लीनिकल साइकाेलॉजिस्ट (clinical psychologist) वर्तिका मोदी के अनुसार जब डिप्रेशन की बात होती है, तो अक्सर इसे वयस्कों की बीमारी माना जाता है, जबकि डिप्रेशन की चपेट में बच्चे भी आ सकते हैं। डिप्रेशन यानी अवसाद एक मनोवैज्ञानिक विकार है, जो बच्चों में कई ऐसे कारणों से हो सकता है, जो उनके आस-पास मौजूद होते हैं। बच्चों को अवसाद मुक्त किया जा सकता है, बस जरूरत है तो बच्चों में डिप्रेशन के लक्षणों को पहचाने की, उसके पीछे मौजूद कारण जानने की और सही काउंसलिंग (counselling) की।
बच्चे के व्यवहार में आ रहे परिवर्तनों को समझें
हर बच्चे की अपनी पसंद, अपना स्वभाव, बोलने-चलने का तरीका और अंदाज होता है जो वह आमतौर पर सामान्य स्थिति में करता है। बच्चा यदि डिप्रेशन में है तो वह अपने व्यवहार से आपको अलर्ट भी कर रहा होता है। जब कभी आपको बच्चे का ऐसा बिहेवियर दिखे जो वह सामान्य तौर पर नहीं करता तो आपको ध्यान देने की जरूरत है। यह डिप्रेशन हो सकता है, जिसके कई लक्षण हैं।
▪️ पसंदीदा चीजों में इंट्रेस्ट नहीं लेना बच्चों में डिप्रेशन का एक सामान्य लक्षण है। अवसाद से ग्रस्त होने पर बच्चा अपने फेवरेट फूड, फेवरेट गेम में रुचि नहीं लेता है। पढ़ाई और रुचि के कार्यों में उसका फोकस कम हो जाता है। बार-बार इंसिस्ट किए जाने पर वह खराब रिएक्शन देता है।
▪️ बच्चे का अत्यधिक चुप और उदास रहना भी डिप्रेशन के लक्षणों में से एक है। आमतौर पर हंसमुख रहने वाला बच्चा किसी परेशानी, चिंता या डर के कारण बच्चा उस वजह के बारे में बताना पसंद नहीं करता, गुमसुम और उदास दिखता है। कई बार वह निराशा भरी बातें करता है।
▪️ अवसाद से ग्रस्त बच्चे अकेलापन पसंद करते हैं। सामान्य तौर पर दूसरे बच्चों के साथ खूब एंजॉय करने वाला बच्चा यदि अकेला रहना पसंद करे, कमरे से बाहर न निकले, किसी से बात न करे तो यह डिप्रेशन का अलर्ट है।
▪️ बच्चों में जोश और स्फूर्ति की कोई कमी नहीं होती, लेकिन यदि शारीरिक रूप से स्वस्थ बालक बिना किसी फिजिकल एक्टीविटी के भी थका-थका सा रहे तो उसका कारण डिप्रेशन हो सकता है।
▪️ बच्चे का बहुत अधिक सोना या बहुत ही कम सोना भी डिप्रेशन के लक्षणों में से एक है।
▪️ आम तौर पर शालीन बर्ताव करने वाला बच्चा बिना किसी वजह के आक्रामक व्यवहार करने लगे या चिड़चिड़ा हो जाए तो यह भी अवसाद के कारण हो सकता है।
▪️ डिप्रेस्ड होने पर बच्चा अपने ब्रश करने, नहाने, स्कूल जाने जैसे दैनिक कार्य भी ठीक से नहीं कर पाता है। सिरदर्द और पेटदर्द की शिकायत करता है।
इलाज से पहले डिप्रेशन के कारण जानना जरूरी
मनोवैज्ञानिक बीमारी कोई भी हो, समाधान से पहले उसका कारण जानना जरूरी है। डिप्रेशन के कारणों में जेनेटिक फैक्टर, स्कूल व फैमिली एन्वॉयरमेंट, अनहेल्दी फूड, टेक्नोलॉजी इंटरवेंशन आदि कारण शामिल हैं।
▪️ विभिन्न शोध परिणामों के अनुसार आनुवांशिक कारण यानी पिता से पुत्र/पुत्री को और बाद में उनकी संतानों को डिप्रेशन होने की आशंका काफी रहती है। प्रेग्नेंसी या डिलीवरी से जुड़ी परेशानी आने या प्रीमैच्योर बेबी होने पर बच्चे में डिप्रेशन होने की आशंका रहती है।
▪️ यदि परिवार का माहौल स्वस्थ नहीं है, पेरेंट्स के बीच में अनबन रहती है या बच्चे को पूरा समय या प्यार भरा वातावरण नहीं मिल पाता है तो बच्चे के डिप्रेशन में जाने की आशंका काफी हद तक बढ़ जाती है।
▪️ घर, आस-पास, स्कूल या वह स्थान जहां बच्चे का जाना-आना होता है, वहां किया गया किसी प्रकार का शारीरिक शोषण, मानसिक उत्पीड़न या धमकीपूर्ण बर्ताव बच्चे के मन में डर बैठा देता है, जिसके कारण वह बच्चा डिप्रेशन में आता है।
▪️ बच्चे द्वारा स्कूल में बेस्ट रिजल्ट न देने पर उसकी परफॉर्मेंस को लेकर परिजनों द्वारा डाला गया दबाव या दूसरे बच्चों से कम्पेरिजन भी बच्चाें को डिप्रेस कर सकता है।
▪️ पोषक तत्वों और मिनरल्स से युक्त संतुलित आहार न मिलने के कारण भी अवसाद हो सकता है। जंक फूड का अधिक सेवन और मोटापा भी डिप्रेशन की एक वजह माना जाता है।
बच्चों के दोस्त बनें, जरूरत पड़े तो काउंसलिंग कराएं
सामान्यत: डिप्रेशन तीन स्टेज माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर स्टेज में होता है। सायकेट्रिस्ट असेसमेंट के बाद डिप्रेशन की स्टेज के आधार पर इलाज तय किया जाता है, जिसमें काउंसलिंग, मेडिकेशन, थैरेपी आदि प्रक्रियाएं शामिल हैं। अवसादग्रस्त बच्चे के साथ बिहेवियर को लेकर पेरेंट्स को भी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। यदि बच्चे में अवसाद से जुड़े लक्षण दिखें तो पेरेट्स को सबसे पहले बच्चे के नजदीक रहने वाले लोग जैसे टीचर्स, अन्य परिजन से भी बच्चे के बिहेवियर को लेकर जानकारी लेनी चाहिए। बच्चे के क्लासमेट्स और दोस्तों से भी जानकारी ली जा सकती है, लेकिन संभलकर उन्हें इस बात की भनक न लगे कि आप बच्चे को लेकर पूछताछ कर रहे हैं।
डिप्रेशन से गुजर रहे बच्चों को भावनात्मक सपोर्ट की जरूरत होती है। उनके साथ बहुत ही प्यार से पेश आएं और दोस्ताना व्यवहार करें। उनसे सवाल न करें और न ही कोई दबाव डालें। उन्हें यही बताएं कि हरदम आप उनके साथ हैं। उन्हें बाहर घूमने ले जाएं या कुछ ऐसा करें जिससे उनका मूड चेंज हो सके। उनके शुरुआती रूटीन में भी कोई बदलाव न करें। साथ ही उसे साइकाेलॉजिस्ट को दिखाएं, ताकि काउसंलिंग, मेडिकेशन या थैरेपी के जरिए वह ठीक हो सके।