फाइजर वैक्सीन से जन्म दर घटी? - डॉ. नाओमी वोल्फ का चौंकाने वाला दावा

अमेरिकी लेखिका और पत्रकार डॉ. नाओमी वोल्फ का दावा है कि फाइजर की कोविड वैक्सीन जल्दबाजी में लॉन्च की गई, जिससे दुनियाभर में जन्म दर 13-20% तक गिर गई. उन्होंने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में अपनी किताब 'फाइजर पेपर्स' के आधार पर बताया कि इस वैक्सीन के प्रजनन क्षमता पर गंभीर असर हुए हैं. साथ ही, उन्होंने बिल गेट्स और मीडिया पर भी वैक्सीन को प्रमोट करने के लिए सवाल उठाए. आखिर क्या है इस रिसर्च में? क्या सच में वैक्सीन ने सेहत पर बुरा असर डाला? जानिए पूरी खबर…

Aprajita
Edited By: Aprajita

Health Tips: कोरोना महामारी के दौरान बनी mRNA वैक्सीन पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं. अब, अमेरिकी लेखिका और पत्रकार डॉ. नाओमी वोल्फ ने एक नया दावा किया है. उनका कहना है कि फाइजर की कोविड वैक्सीन जल्दबाजी में लॉन्च की गई और इसकी वजह से दुनियाभर में जन्म दर 13-20% तक गिर गई. उन्होंने अपनी किताब 'फाइजर पेपर्स' के निष्कर्ष साझा किए, जिसमें वैक्सीन के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर और तेजी से अप्रूवल को लेकर गंभीर चिंताएं जताई गई हैं.

वैक्सीन लेने के बाद महिलाओं में समस्याएं

डॉ. वोल्फ लंबे समय से महिलाओं के स्वास्थ्य पर काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि जब mRNA वैक्सीन का इस्तेमाल बढ़ा, तो कई महिलाओं को पीरियड्स में दिक्कतें और प्रजनन संबंधी परेशानियां हुईं. जब उन्होंने इस पर रिसर्च शुरू की, तो उन्हें चौंकाने वाले नतीजे मिले. उनकी टीम में 3,250 डॉक्टर और वैज्ञानिक शामिल थे, जिन्होंने 109 रिपोर्ट्स तैयार कीं. इन रिपोर्ट्स में बताया गया कि फाइजर वैक्सीन को अमेरिका में इमरजेंसी अप्रूवल मिला, लेकिन इसके लिए 10-15 साल की सामान्य सुरक्षा जांच प्रक्रिया को नजरअंदाज कर दिया गया.

बिल गेट्स और मीडिया पर भी निशाना

डॉ. वोल्फ ने सिर्फ वैक्सीन कंपनियों को ही नहीं, बल्कि अमेरिकी मीडिया और बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन पर भी सवाल उठाए. उन्होंने दावा किया कि बिल गेट्स mRNA वैक्सीन में बड़े निवेशक थे और उन्होंने वैक्सीन को प्रमोट करने के लिए मीडिया को करोड़ों डॉलर दिए.

असफल रही कोविड ट्रांसमिशन रोकने की कोशिश?

डॉ. वोल्फ के मुताबिक, शुरू में कहा गया था कि वैक्सीन कोविड संक्रमण फैलने से रोकेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उनका कहना है कि जब किसी दवा को बाजार में लाया जाता है, तो उसके सुरक्षा मानकों की सख्त जांच होनी चाहिए, लेकिन इस मामले में जल्दबाजी कर दी गई.

क्या भारतीय वैक्सीन ज्यादा सुरक्षित?

जब उनसे पूछा गया कि क्या सभी वैक्सीन गलत हैं, तो उन्होंने कहा कि हर वैक्सीन के प्रभाव अलग-अलग होते हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय वैक्सीन अलग तरह से काम कर सकती हैं और उनकी टीम इस पर रिसर्च करने के लिए तैयार है. उन्होंने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का भी जिक्र किया, जिसे बाद में बाजार से हटा लिया गया था. उन्होंने कहा, "कोई भी वैक्सीन बिना सख्त जांच के लोगों को नहीं दी जानी चाहिए."

बीमारियों को रोकने का दूसरा तरीका

संक्रमण रोकने के लिए उन्होंने कहा कि लोगों को छोटे घरों में बंद करने से, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. उन्होंने साफ-सफाई, सही खान-पान और स्वस्थ जीवनशैली पर जोर दिया. डॉ. वोल्फ का दावा नया विवाद खड़ा कर सकता है. अब सवाल ये है कि क्या फाइजर और अन्य फार्मा कंपनियां इन दावों का कोई ठोस जवाब देंगी? क्या जल्दबाजी में बनाई गई वैक्सीन का असर वाकई इतना खतरनाक है?

calender
08 March 2025, 11:46 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो