किडनी में खराबी के ये संकेत न करें नजरअंदाज, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान, जानें शुरुआती लक्षण
किडनी हमारे शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है, जो खून को फिल्टर कर विषैले तत्वों को बाहर निकालता है. लेकिन खराब जीवनशैली, गलत खानपान, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे कारणों से किडनी की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. किडनी खराब होने की शुरुआत कुछ सामान्य लक्षणों से होती है तो चलिए जानते हैं.

हमारी किडनी शरीर की सबसे अहम अंगों में से एक है, जो खून को फिल्टर करने का काम करती है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालती है. लेकिन अगर इसकी सेहत का ध्यान ना रखा जाए तो यह अंग धीरे-धीरे खराब होने लगता है और इसके लक्षण भी शरीर में साफ नजर आने लगते हैं. दुर्भाग्य से, कई लोग इन संकेतों को शुरुआत में ही नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर गंभीर बीमारी का रूप ले सकते हैं.
किडनी खराब होने की समस्या आज के समय में आम होती जा रही है, खासकर खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी डाइट और शुगर-बीपी जैसी बीमारियों के चलते. ऐसे में जरूरी है कि हम समय रहते इसके लक्षणों को पहचानें और डॉक्टर की सलाह लें.
किडनी खराब होने के मुख्य कारण
किडनी में खराबी आने के कई कारण हो सकते हैं. इनमें से कुछ सामान्य कारण हैं:
- गलत खानपान: ज्यादा नमक (सोडियम), कैल्शियम और पोटैशियम वाली डाइट किडनी को नुकसान पहुंचाती है.
- हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज: ये दोनों बीमारियां किडनी पर सीधा असर डालती हैं.
- जेनेटिक फैक्टर: अगर परिवार में किसी को किडनी की समस्या रही है, तो अगली पीढ़ी में भी खतरा बढ़ जाता है.
- इंफेक्शन: शरीर में किसी भी तरह का इंफेक्शन किडनी की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है.
शुरुआती लक्षण जो कभी नजरअंदाज न करें
किडनी के खराब होने की शुरुआत पेशाब की दिक्कतों से होती है. इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:
- पेशाब का कम आना या धीरे-धीरे आना
- पेशाब के दौरान दर्द होना
- पेशाब में खून आना
- चेहरे, हाथों और पैरों में सूजन
- लगातार थकान और कमजोरी महसूस होना
ये हैं किडनी खराबी के गंभीर संकेत
जब किडनी की स्थिति और बिगड़ती है, तो लक्षण भी गंभीर हो जाते हैं.
- उल्टी या मतली महसूस होना
- पेट में तेज़ दर्द
- सिरदर्द
- भूख में कमी और वजन में गिरावट
यह सभी संकेत किडनी फेलियर की ओर इशारा करते हैं. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
कैसे होती है जांच?
डॉक्टर शुरुआत में KFT (किडनी फंक्शन टेस्ट) के ज़रिए किडनी की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करते हैं. इससे यह पता चलता है कि मरीज को एक्यूट किडनी डिजीज (AKD) है या क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD). एक्यूट कंडीशन का इलाज जल्दी हो जाता है, लेकिन क्रोनिक डिजीज में लंबा इलाज और सख्त निगरानी की जरूरत होती है.
देर होने पर कराना पड़ सकता है ट्रांसप्लांट
अगर समय पर इलाज न किया जाए तो किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है. ऐसे में:
- मरीज को डायलिसिस की जरूरत होती है
- अगर डायलिसिस से फायदा न हो, तो किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय बचता है
- ट्रांसप्लांट के लिए एक डोनर की जरूरत होती है, जो अपनी एक किडनी दान करता है