Lifestyle: हिंदु धर्म के अनुसार मंदिर पूजा-पाठ को लेकर कई तरह की बातें कही जाती है. जिसका पालन आम जीवन में किया जाता है, जबकि इसका लाभ भी जीवन में देखने को मिलता है. वहीं आज हम बात कर रहे हैं मंदिर से निकलने पर घंटी बजाने की. शास्त्रों में इसका वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है. मगर कई लोगों को इसके बारे में आज भी जानकारी नहीं है कि मंदिर से निकलने के बाद आखिर क्यों नहीं घंटी बजानी चाहिए.
हिंदु धर्म में प्राचीन समय से पूजा-पाठ जीवन का एक अहम हिस्सा है. हम जब भी मंदिर में जाते हैं तो घंटी बजाते हैं, कहा जाता है कि इसे बजाने से जीवन की कई समस्याएं खत्म हो जाती है. साथ ही आस-पास की नकारात्मक चीजें दूर हो जाती है. घंटी की आवाज देवी-देवताओं के मन को अधिक प्रिय है, घंटी की ध्वनि सुनाकर भक्त भगवान से मंदिर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत मांगते हैं. इतनी ही नहीं इससे देवी-देवता भी भक्त के प्रति आकर्षित होते हैं.
पुरानी कहावत है कि जब हम मंदिर में जाते हैं तो हमारे मन में कई तरह के भाव, दुख होते हैं. जो मंदिर में घंटी बजाकर घुसने के बाद खत्म हो जाते हैं. शंख. घंटी की आवाज सारी नकारात्मक उर्जा को आपके अंदर से भगा देता है. जब हम मंदिर में देवी-देवता के दर्शन करते हैं तो हमारे मन में सकारात्मकता उत्पन्न होने लगता है. इसके बाद हम बड़े प्रेम से मंदिर के बाहर निकलते हैं. यही कराण है कि जब हम शरीर के अंदर सकारात्मकता लेकर आते हैं तो लौटते समय घंटी बजाने से वह नष्ट हो जाता है.
शास्त्रों में बताया गया है कि जब संसार का निर्माण किया गया था तो आकाश में एक ध्वनि गुंज उठी थी. दरअसल यह ध्वनि घंटी की आवाज थी, साथ ही कहा जाता है कि घंटी बजाने से ओंमकार मंत्र का उच्चारण बिना बोले हो जाता है. इतना ही नहीं घंटी की धुन सुनकर मंदिर की सारी मुर्तियां जागृत हो उठती है. First Updated : Thursday, 21 March 2024