अमेरिका में राष्ट्रपति शपथ ग्रहण के दौरान क्यों रखी जाती है 'बाइबिल' पर हाथ? दिलचस्प है इसका इतिहास

Donald Trump Inauguration Day 2025: अमेरिका में इस बार ट्रंप सरकार सत्ता में आई है. डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में बाइबिल का इस्तेमाल काफी अहम माना जाता है. तो आइए जानते हैं बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ लेने का इतिहास क्या है?

Ritu Sharma
Edited By: Ritu Sharma

Donald Trump Oath Ceremony 2025: अमेरिका के राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण का आयोजन हमेशा से ही विशेष चर्चा का विषय रहा है. डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को दूसरी बार अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे. यह शपथ ग्रहण समारोह अमेरिकी परंपरा और संवैधानिक विधियों का प्रतीक है.

बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ लेने की परंपरा क्यों?

आपको बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाने का कार्य मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of the United States) करते हैं. शपथ ग्रहण के दौरान नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ लेते हैं. यह परंपरा अब्राहम लिंकन के समय से चली आ रही है.

वहीं बता दें कि बाइबिल ईसाई धर्म का पवित्र ग्रंथ है और अमेरिका के अधिकांश राष्ट्रपति ईसाई धर्म से जुड़े रहे हैं. यही कारण है कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेते समय बाइबिल का उपयोग किया जाता है. उदाहरण के लिए, बराक ओबामा और जो बाइडेन ने भी अपने कार्यकाल की शुरुआत बाइबिल पर हाथ रखकर की थी.

बाइबिल और भारतीय परंपरा का संबंध

बताते चले कि जैसे भारत में गीता को पवित्र और न्याय का प्रतीक माना जाता है, वैसे ही ईसाई धर्म में बाइबिल का महत्व है. भारतीय न्यायालय में गवाही से पहले गीता पर हाथ रखकर सत्य बोलने की कसम खाई जाती है. बाइबिल भी ईसाई धर्म में प्रभु यीशु का स्वरूप मानी जाती है, जो मानव कल्याण और सत्यनिष्ठा का प्रतीक है.

बाइबिल का संदेश और महत्व

इसके अलावा आपको बता दें कि बाइबिल के अनुसार, यह मानव कल्याण के उपदेशों का संग्रह है. इसे करीब 2000 साल पहले ईसा मसीह द्वारा दिए गए उपदेशों का सार माना जाता है. बाइबिल कहती है, ''जो प्रभु पर विश्वास करते हैं, वे कभी कमजोर नहीं पड़ते.''

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20 January 2025, 09:33 AM IST

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