यह खबर, सनग्लासेज पहनने के शौकीनों और धूप में इसे न पहनने वाले, दोनों तरह के लोगों के काम की है। कई लोग सनग्लासेज को केवल एक फैशन स्टेटमेंट के तौर पर देखते और इस्तेमाल करते हैं और दिन हो या रात हर समय धूप का चश्मा पहने रहते हैं। ऐसा शौक आपके लिए नुकसानदेय हो सकता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो चमकदार धूप में निकलते समय भी सनग्लासेज का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ऐसा करने से उन्हें भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। गौरतलब है कि सनग्लासेज केवल शौक की वस्तु नहीं है, वरन् आपकी आंखों की सेहत के लिए भी काफी जरूरी है। धूप में सनग्लासेज पहनना क्यों है जरूरी, कब सनग्लासेज लगाने से बचना चाहिए, सनग्लासेज किस क्वालिटी के होने चाहिए, आइए जानते हैं...
आंखों के डॉक्टर एक सामान्य सलाह देते हैं कि जब भी आप धूप में बाहर निकलें तो सनग्लासेज जरूर पहनें, ताकि आपकी आंखों की सेहत बरकरार रहे। दरअसल, सनग्लासेज सूर्य की रोशनी में मौजूद अल्ट्रावायलेट रे यानी पराबैंगनी किरणों से आपकी आंखों की रक्षा करते हैं। इन किरणों में ऐसे विकिरण मौजूद होते हैं, जिनका सीधा असर आपकी आंखों पर पड़ता है। यदि धूप तीखी और चमकदार हो तो पराबैंगनी किरणों का असर अधिक पड़ता है। इन यूवी किरणों को देखा नहीं जा सकता और यह आपकी आंखों पर पड़कर उसमें मौजूद प्रोटीन को नष्ट करती रहती है। नतीजतन मोतियाबिंद, ब्लाइंडनैस, मैक्यूला, ड्राइनैस और ग्लूकोमा जैसे आंखों के रोग होने का खतरा बना रहता है।
सनग्लासेज का यह भी फायदा है कि गर्मी के दिनों में चलने वाली आंधी, उड़ती धूल, गंदगी और संक्रमित हाथों से भी आपकी आंखों की सुरक्षा करता है। चूंकि इस समय गर्मी का मौसम है और धूप में भी काफी तेजी है, इसलिए दिन में घर से बाहर निकलते समय चश्मा जरूर पहनें। दरअसल, सनग्लासेज पर यूवी फिल्टर वाले स्पेशल केमिकल का कोट किया जाता है, जिससे सूर्य की पराबैंगनी किरणें परावर्तित हो जाती हैं और आंखों तक नहीं पहुंच पाती। इसलिए जब भी आप सनग्लासेज चुनें, तो अच्छी क्वालिटी और गहरे रंग के लैंस को चुनें।
चिकित्सकों का मानना है कि वे लोग जो लंबे समय तक धूप में रहते हैं, उन्हें सनग्लासेज की जरूरत अधिक होती है। इनमें खेती-किसानी के साथ-साथ फील्ड में काम करने वाले प्रोफेशनल्स जैसे स्पोर्ट्स पर्सन, जर्नलिस्ट आदि शामिल हैं। लगातार धूप में रहने के कारण इन्हें ड्राइ आई, मोतियाबिंद, क्लाउडी लेंस की समस्या आ सकती है। कई लोगों के रेटीना के सबसे संवेदनशील हिस्से पर पीले-गुलाबी रंग के निशान हो जाते हैं जो कॉर्निया पर भी आ जाते हैं। सनग्लासेज पहनने से आंखों के आसपास की कोमल त्वचा भी सुरक्षित रहती है और त्वचा कैंसर का खतरा कम होता है। वहीं सूर्य की तेज रोशनी से बचाव के कारण माइग्रेन से भी सुरक्षा मिलती है।
आजकल युवा फैशन के चक्कर में सनग्लासेज को दिन-रात लगाए रखते हैं। ऐसा करना भी नुकसानदेय है, क्योंकि हर समय इसके इस्तेमाल से कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। लगातार सनग्लासेज पहनने से शरीर का सरकेडियन रिदम बिगड़ जाता है। सरकेडियन रिदम हमारे मस्तिष्क में 24 घंटे चलने वाली एक घड़ी की तरह होता है जो चहुंओर के पर्यावरण में रोशनी के परिवर्तन को लेकर मस्तिष्क को संकेत भेजता है और यह हमारी अलर्टनेस और नींद की आदतों को रेगुलेट करता है। इससे हमारे साइकोलॉजी और बिहेवियर भी प्रभावित होते हैं। यह संकेत चूंकि आंखों से आने वाली रोशनी के जरिए भेजा जाता है, ऐसे में आंखों पर लगातार सनग्लासेज पहनने मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
हमेशा सनग्लासेज पहनने से पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथि पर असर पड़ता है। इससे मस्तिष्क को यह संकेत जाता है कि बाहर अंधेरा है और वह त्वचा को स्किन एक्सपोजर को लेकर तैयार नहीं कर पाता। ऐसे में त्वचा के माध्यम से शरीर में विटामिन डी बनने की प्रक्रिया बाधित होती है। वहीं लगातार अंधेरे में रहने से आंखें थक जाती हैं और उन्हें प्राकृतिक रोशनी पाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। लगातार सनग्लासेज पहनने से मूड स्विंग होने, स्ट्रेस, इनसोमिया और डिप्रेशन जैसी स्थितियां भी बन सकती हैं First Updated : Thursday, 04 May 2023