Famous Sarees Of India: करवा चौथ पर सभी महिलाएं साड़ियां पहनती हैं यह परंपरा काफी सालों से चली आ रही है. अक्सर आप ने देखा होगा महिलाएं कम मेकअप में रहती है लेकिन जिस दिन करवा चौथ का त्योहार होता है उस दिन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार में नजर आती हैं. साथ ही इस दिन वह निर्जला व्रत करती हैं साथ ही माता से कामना करती हैं कि उनके पति की आयु लंबी और उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आए.
हमारे भारत में ऐसी कई महिलाएं हैं जो रोजाना ही साड़ी पहनकर अपना जीवन व्यतित कर रही हैं लेकिन इस तरह की महिलाएं शहरों में कम और गांवों में अधिक नजर आती हैं. भारत में ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें सदियों से आज भी खूब पसंद किया जा रहा है उन्हीं में से एक हैं साड़ियां जो भारत में नंबर 1 पर हैं.
1. बनारसी साड़ी
बनारसी साड़ी महिलाओं की खूबसूरती और भी बढ़ा देती हैं. यह रेशम की साड़ियों पर बनारस में बुनाई के संग जरी के डिजाइन मिलाकर बुनने से तैयार होने वाली सुंदर रेशमी साड़ी को बनारसी साड़ी के नाम से जाना जाता है. इस साड़ी को सुहाग की निशानी भी माना जाता है. मल्टी बनारसी साड़ी, पौड़ी, नक्काशी, कतान, अम्बोज, टिपिकल बनारसी जंगला, एंटिक बूटा, जामेवार, कतान प्लेन, कतान फैंसी ये सभी साड़ियां उपलब्ध हैं.
2. महाराष्ट्रियन साड़ी
महाराष्ट्र में एक खास तरह की साड़ियां पहनी जाती हैं जिससे महिलाएं की खूबसूरती में चार-चांद लग जाते हैं. जो नौ गज लंबी होती है, इसे पैठणी कहते हैं यह पैठण शहर में बनती है, इस साड़ी को बनाने की प्रेरणा अजन्ता की गुफा में की गई चित्रकारी से मिली थी.
3. रॉ सिल्क
यह साड़ी देखने और पहनने में काफी सुदंर लगती है. ये गोंद से बनती है जो काफी डल और कड़ा होता है ये सेरिसिन के कवर में और कई कलर्स में मौजूद होता है इससे सिल्क निकालने के लिए लंबी प्रकिया से गुजरना पड़ता है.
4. महेश्ववरी साड़ी
इस साड़ी का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा. यह साड़ी काफी सिंपल है जिसे कभी भी पहना जा सकता है. यह साड़ी खासकर मध्य प्रदेश में पहनी जाती है. पहले यह सूती साड़ी ही बनाई जाती थी. लेकिन अब धीरे-धीरे रेशन की भी साड़ी बनाई जाती है. इसका इतिहास काफी पुराना है. होल्कर वंश की महान शासक देवी अहित्याबाई ने 250 साल पहले गुजरात से लाकर महेश्वरी में इसका व्यापार किया था.
5. नारायणपेट सिल्क साड़ी
यह साड़ी बेहद ही सुंदर और महिलाएं की खूबसूरत में चार-चांद लगाने वाली है. इस साड़ी में एम्ब्रॉयडरी के साथ चेक्ड सरफेस पैटर्न होते हैं जो मिलकर बॉर्डर या पल्लू पर बहुत ही खास डिजाइन बनाते हैं जैसे किसी मंदिर की आउटलाइन इन साड़ियों की शुरुआत तेलंगाना के नारायणपेट डिस्ट्रिक से 1630 ईसा पूर्व में होने के कारण इसका ये नाम पड़ा. First Updated : Tuesday, 31 October 2023