लंबे वर्कआउट को भूल जाइए! रुक-रुक कर व्यायाम करना संज्ञानात्मक लाभ की कुंजी है: अध्ययन
अगर आप सोचते हैं कि रोज़ाना व्यायाम ही मस्तिष्क के लिए सबसे फायदेमंद है, तो एक नया अध्ययन आपको हैरान कर सकता है। न्यूरोबायोलॉजी ऑफ लर्निंग एंड मेमोरी में छपे इस रिसर्च में पता चला है कि बीच-बीच में, जैसे सिर्फ सप्ताहांत में एक्सरसाइज करना, लगातार व्यायाम से ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। चूहों पर किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि जो चूहे रुक-रुक कर व्यायाम करते थे, उनकी याददाश्त और संज्ञानात्मक क्षमताएं लंबी अवधि तक बेहतर रहीं। जानिए कैसे और क्यों बीच-बीच में की गई एक्सरसाइज आपके मस्तिष्क को स्थायी लाभ दे सकती है।
Intermittent Exercise: हमारे शरीर और मस्तिष्क के बीच का रिश्ता हमेशा से ही दिलचस्प रहा है। जहाँ एक ओर शारीरिक व्यायाम शरीर को फिट रखने में मदद करता है, वहीं दूसरी ओर यह हमारे मस्तिष्क की कार्यक्षमता को भी बढ़ा सकता है। हाल ही में न्यूरोबायोलॉजी ऑफ लर्निंग एंड मेमोरी में प्रकाशित एक अध्ययन ने यह साबित किया कि नियमित रूप से किए जाने वाले व्यायाम की तुलना में बीच-बीच में की जाने वाली एक्सरसाइज, जैसे केवल सप्ताहांत में की जाने वाली कसरत, मस्तिष्क को अधिक स्थायी लाभ देती है।
बीच-बीच में एक्सरसाइज का प्रभाव
यह अध्ययन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो समय की कमी के कारण रोजाना व्यायाम नहीं कर पाते हैं। शोधकर्ताओं ने 48 नर चूहों पर अध्ययन किया, जिन्हें तीन समूहों में बांटा गया। पहले समूह में चूहे निरंतर 14 दिनों तक व्यायाम करते रहे, दूसरे समूह में चूहे कुछ दिनों तक व्यायाम करते थे और फिर कुछ दिनों के लिए आराम करते थे, जबकि तीसरे समूह को पूरी तरह से आराम करने के लिए छोड़ दिया गया था।
निष्कर्षों से पता चला कि दोनों व्यायाम करने वाले समूहों ने निष्क्रिय समूह की तुलना में बेहतर संज्ञानात्मक क्षमता दिखाई। हालांकि, जो चूहे बीच-बीच में व्यायाम करते थे (सप्ताहांत पर), उन्होंने लंबे समय तक बेहतर याददाश्त बनाए रखी। इसके विपरीत, जो चूहे लगातार व्यायाम करते थे, उनका संज्ञानात्मक प्रदर्शन समय के साथ घटता गया।
क्यों असरदार है बीच-बीच में एक्सरसाइज?
शोधकर्ताओं का मानना है कि बीच-बीच में व्यायाम करने से मस्तिष्क में विशेष जीन सक्रिय होते हैं, जो संज्ञानात्मक कार्यों को लंबे समय तक बनाए रखते हैं। इस तरह के व्यायाम से मस्तिष्क में होने वाली आणविक प्रतिक्रियाओं को बेहतर ढंग से पुनः सक्रिय किया जा सकता है, जिससे दीर्घकालिक लाभ मिलते हैं।
यह अध्ययन इस विचार को चुनौती देता है कि केवल लगातार व्यायाम ही मस्तिष्क के लिए सबसे अच्छा होता है। इसके बजाय, बीच-बीच में व्यायाम करने से मस्तिष्क को बेहतर तरीके से लाभ हो सकता है और यह याददाश्त को बढ़ावा देने में मदद करता है।
व्यायाम के प्रकार और मस्तिष्क पर असर
इस अध्ययन ने यह भी सिद्ध किया कि व्यायाम का प्रकार और समय मस्तिष्क के लिए अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, न कि व्यायाम की तीव्रता या उसकी मात्रा। सप्ताहांत में किए गए व्यायाम से मस्तिष्क को स्थायी लाभ प्राप्त हुआ, भले ही चूहों ने औसतन बहुत लंबी दूरी नहीं दौड़ी हो। इसका मतलब यह है कि थोड़ी देर के लिए तेज़ और अंतराल में किए गए व्यायाम, ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं।
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम
वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ खास प्रकार के व्यायाम मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ा सकते हैं। जैसे कि एरोबिक व्यायाम, उच्च तीव्रता अंतराल प्रशिक्षण (HIIT), योग और ध्यान, मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इनमें से कुछ व्यायाम जैसे जॉगिंग, तैराकी या साइकिल चलाना, मस्तिष्क में नए न्यूरॉन्स के निर्माण को बढ़ावा देते हैं, जबकि HIIT जैसी गतिविधियाँ मस्तिष्क के लिए आवश्यक न्यूरोट्रॉफ़िक कारकों को सक्रिय करती हैं, जो याददाश्त और सीखने में मदद करते हैं।
अध्ययन में हुआ खुलासा
इस अध्ययन से यह साफ़ हो जाता है कि अगर आप समय की कमी के कारण रोज़ाना व्यायाम नहीं कर पाते हैं, तो भी बीच-बीच में व्यायाम करके आप मस्तिष्क को बेहतर तरीके से फायदा पहुंचा सकते हैं। यह न केवल आपकी याददाश्त को बढ़ाता है, बल्कि लंबे समय तक मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बनाए रखने में मदद करता है। तो अगली बार जब आप अपने व्यायाम की योजना बनाएं, तो यह याद रखें कि थोड़ी देर के लिए किए गए तेज़ व्यायाम से भी बड़े फायदे हो सकते हैं!