Miss India 2024 Nikita Porwal: झारखंड की राजधानी रांची से लेकर उज्जैन के ऐतिहासिक शहर तक, निकिता पोरवाल की यात्रा बहुत ही दिलचस्प और प्रेरणादायक रही है. फेमिना मिस इंडिया 2024 का ताज जीतने के बाद, निकिता अब सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि अपनी मजबूत इच्छाशक्ति, आत्मविश्वास और देश के प्रति प्रेम के लिए भी जानी जाती हैं. अपने संघर्षों, आत्म-संदेह और सपनों को साकार करने की कहानी निकिता ने साझा की है.
निकिता बनना चाहती थी कुछ और
निकिता, जो कि 23 साल की हैं, हमेशा से एक कहानीकार बनना चाहती थीं. पौराणिक कथाओं से प्रेरित होकर उन्होंने अभिनय में कदम रखा और कई नाटकों में भी काम किया. बचपन से ही सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने का सपना रखने वाली निकिता का मानना है कि फेमिना मिस इंडिया ने उन्हें अपनी असली पहचान बनाने का बेहतरीन अवसर दिया. 'सौंदर्य प्रतियोगिताएं अब केवल सुंदर चेहरे तक सीमित नहीं हैं, यह अब व्यक्तित्व, विचार और दूसरों के साथ जुड़ने का तरीका है.'
आध्यात्मिक पक्ष और आत्मविश्वास की कहानी
निकिता का आध्यात्मिक पक्ष भी बहुत गहरा है. वह कहती हैं, 'जब मैंने फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेने का निर्णय लिया, तो एक बार मैं कोच्चि में शूटिंग कर रही थी और मुझे शिवलिंग पर जल चढ़ाने की प्रबल इच्छा हुई. ऐसा लगता था जैसे भगवान मेरा साथ देने के लिए मुझे अपनी उपस्थिति महसूस करा रहे थे.' उनका यह विश्वास और आत्म-समर्पण उनके सफर का अहम हिस्सा बना.
खुद को दी चुनौती
निकिता के अनुसार, अपनी यात्रा के दौरान उनके आत्म-संदेह के कई क्षण आए, लेकिन उन्होंने अपनी माँ और दोस्तों से प्रेरणा लेकर उन पर काबू पाया. 'जब मैं खुद को कमजोर महसूस करती थी, तो मेरे प्रियजन हमेशा मेरे साथ खड़े होते थे.' वह बताती हैं कि उनका राज्य मध्य प्रदेश कभी भी मिस इंडिया का ताज नहीं जीत सका था, इसलिए उन्होंने खुद को यह चुनौती दी और अंततः ताज जीतने में सफल रहीं.
मिस वर्ल्ड 2026 का सपना
अब जब निकिता ने फेमिना मिस इंडिया का ताज अपने सिर पर रखा है, उनकी नजरें अब मिस वर्ल्ड 2026 पर हैं. वह कहती हैं, 'मुझे कैमरे के सामने रहना बहुत पसंद है और मैं अपने हर अवसर को भुनाना चाहूंगी.' निकिता अपने भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और मिस वर्ल्ड में भारत का नाम रोशन करने की तैयारी में हैं.
उम्मीद और मेहनत की मिसाल बनी निकिता पोरवाल की कहानी
निकिता पोरवाल की यात्रा यह दिखाती है कि अगर आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत के साथ किसी लक्ष्य को पीछे छोड़ने का जुनून हो, तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है. वह न केवल अपने राज्य, बल्कि देश की प्रेरणा बन चुकी हैं. निकिता की यह सफलता सिर्फ एक ताज जीतने की नहीं, बल्कि यह उस महिला की कहानी है जिसने आत्म-संदेह, संघर्ष और आध्यात्मिक विश्वास के साथ अपने सपनों को साकार किया. First Updated : Monday, 18 November 2024