G20 Summit: जी-20 में शामिल मेहमानों को क्यों परोसा गया चांदी के बर्तनों में खाना, क्या थी इस परंपरा को निभाने की वजह?
G20 Summit: जी-20 में आए गए सभी मेहमानों को चांदी के बर्तनों में परोसा गया था, ये परंपरा काफी समय से चली आ रही है.लेकिन जी-20 में क्या थी इसे निभाने की परंपरा?
हाइलाइट
- चांदी के बर्तनों में भोजन परोसने की परंपरा काफी समय से चली आ रही हैं.
G20 Summit: भारत व कई देशों में यह परंपरा होती है जो भी मेहमान देश-विदेश से आते ही उनका स्वागत बड़े ही धूम-धाम के साथ किया जाता है साथ ही हर तरह की कोशिश की जाती है कि आने वाले मेहमानों को किसी भी तरह की कोई भी दिक्कत का समाना न करना पड़ें. दूर-विदेश से आएं बड़े-बड़े मेहमान जी-20 में शामिल होने के लिए, उन सभी मेहमानों को चांदी के बर्तनों में खाना परोसा गया था. इस तरह की परंपरा आप ने भी कई बार देखी होगी. आखिर इस परंपरा को करने का क्या कारण है आइए जानें?
लंबे समय तक रहता है खाना गर्म
चांदी के बर्तनों में भोजन परोसने की परंपरा काफी समय से चली आ रही हैं. इतना ही नहीं कुछ देशों में तो इसको आज भी निभाया जाता है. चांदी एक नॉन-टॉक्सिक पदार्थ है इसीलिए इसके बर्तन प्लास्टिक , सिंथेटिक्स, एल्यूमीनियम और सीसा जैसे पदार्थों से ज्यादा साफ, शुद्ध और हेल्दी माने जाते हैं. साथ ही ये खाने को लंबे समय तक फ्रेश रखने में मदद करती है. क्योंकि इसकी रिएक्टिविटी रेट थोड़ी स्लो है इस वजह से इसमें खाना खराब नहीं हो पाता है.
कीटाणुरहित है चांदी
चांदी कोई हानिकारक कंपाउंड नहीं होती है और चांदी कटलरी बाजार में उपलब्ध अन्य सभी कटलरी का सबसे हेल्दी विकल्प हैं. साथ ही ये एंटी-बैक्टीरियल और चांदी के बर्तनों को सिंथेटिक या प्लास्टिक के बर्तनों की तरह कीटाणुरहित करने की जरूरत नहीं होती है.
ठंडी धातु
चांदी को ठंडी धातु माना जाता है जो कि हमारे शरीर में ठडंक पैदा करती है. इसके साथ ही कई लोगों का म मानना है कि यह खाना पचाने की काम भी करती है. जब आप इस धातु में खाना खाते हैं तो यह मेटाबोलिज्म को तेज करने में मदद करती है.