भारत में इस बीमारी ने पसारे अपने पैर, जानें हीमोफीलिया के लक्षण और सावधानियां

Hemophilia: हीमोफीलिया एक दुर्लभ बीमारी है, फिर भी भारत में इसके 25,000 से ज्यादा मरीज हैं. रोग का शीघ्र निदान और उचित प्रबंधन रोगियों को इस स्थिति के साथ जीने और अच्छी स्कूली शिक्षा और नौकरी के अवसरों के साथ विकलांगता मुक्त जीवन जीने में मदद कर सकता है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Hemophilia: हीमोफीलिया एक दुर्लभ बीमारी है, लेकिन भारत में इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, हीमोफीलिया का शुरुआती निदान और प्रबंधन मरीजों के जीवन को बेहतर बना सकता है. भारत में इस बीमारी से 25,000 से अधिक लोग पीड़ित हैं. यह स्थिति रक्त के सही तरीके से थक्के न बनने के कारण होती है, जिससे छोटी चोटें भी गंभीर रक्तस्राव में बदल सकती हैं.

नोएडा स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (PGICH) ने 950 से अधिक हीमोफीलिया मरीजों को पंजीकृत किया है और 2018 से उन्हें व्यापक देखभाल प्रदान कर रहा है. इस बीमारी पर जागरूकता बढ़ाने और प्रबंधन के तरीकों पर चर्चा करने के लिए हाल ही में संस्थान में एक सीएमई (कंटिन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन) आयोजित की गई.

समय पर जांच और सही देखभाल

इस कार्यक्रम में डॉ. नीता राधाकृष्णन ने बताया कि समय पर जांच और सही देखभाल से हीमोफीलिया से पीड़ित लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं. उन्होंने कहा, "यह बीमारी दुर्लभ जरूर है, लेकिन उचित प्रबंधन से मरीज अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसर पा सकते हैं." संस्थान के निदेशक प्रो. ए.के. सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में 79 चिकित्सा विशेषज्ञ, जिनमें डॉक्टर, नर्स और परामर्शदाता शामिल थे, ने भाग लिया. बैठक में जन्म से वयस्कता तक हीमोफीलिया के समग्र प्रबंधन पर चर्चा की गई.

हीमोफीलिया प्रबंधन में उन्नत उपचार

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व निदेशक प्रो. नरेश गुप्ता ने हीमोफीलिया के उभरते उपचार और हाल के दशकों में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि उन्नत तकनीकों और दवाओं से अब मरीजों का जीवन काफी आसान हो गया है. इस अवसर पर वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी दिनेश पाल ने नर्सिंग देखभाल पर व्याख्यान दिया, जबकि एमिटी यूनिवर्सिटी, गुड़गांव की डॉ. दीपिका लोहान ने हीमोफीलिया प्रबंधन में मनोसामाजिक देखभाल पर चर्चा की.

हीमोफीलिया के लक्षण और बचाव

डॉ. नीता ने बताया कि अगर किसी परिवार में रक्तस्राव के लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत जांच करवानी चाहिए. इसके लक्षणों में चोट लगने पर लंबे समय तक खून आना, जोड़ों में सूजन, मसूड़ों से खून आना और मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव शामिल हैं.

सावधानियां जरूरी

1. ऐसी गतिविधियों से बचें, जिनसे चोट लग सकती है.

2. एस्पिरिन जैसी दवाओं का सेवन न करें.

3. इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन से बचें.

4. आघात से बचने के लिए सतर्क रहें और बच्चों की विशेष देखभाल करें.

5. किसी भी चोट की स्थिति में तुरंत अस्पताल जाएं.

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27 December 2024, 10:12 PM IST

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