स्वास्थ्य को लेकर एक कहावत मशहूर है, पहला सुख निराेगी काया। यह बात सही भी है, क्योंकि सेहतमंद रहना हर व्यक्ति की पहली प्राथमिकता है। यही कारण है कि बीमार होने पर आप डॉक्टर की बताई जांचें कराने के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर जाते हैं। इन लैब्स पर जाने से पहले उनके बारे में अहम जानकारियां प्राप्त करना जरूरी है।
एक बीमार व्यक्ति बीमारी के इलाज के लिए डायग्नोसिस कराता है। यदि किसी भी कारण से जांच सही नहीं की गई तो उसके गलत परिणाम किसी का जीवन बर्बाद कर सकते हैं। गलत जांच रिपोर्ट के आधार पर किया गया उपचार, सर्जरी या अन्य कोई प्राेसीजर न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उससे शारीरिक हानि का जोखिम भी काफी रहता है।
कई बार आप इस तरह की खबरें पढ़ते होंगे कि दो अलग-अलग सेंटर पर कराई गई जांच के परिणाम या तो एक-दूसरे के विपरीत निकले या उनमें काफी अंतर नजर आया। दरअसल, डायग्नोस्टिक सेंटर पर तकनीकी कमी, आधुनिक मशीनें न होना, विशेषज्ञ का अभाव, मानवीय लापरवाही, बिचौलिये की भूमिका आदि कारण गलत परिणाम के लिए उत्तरदायी होते हैं।
जांच कराने से पहले जरूरी है कि आप सही डायग्नोस्टिक सेंटर का चुनाव करें। ऐसा होने पर ही आपको न केवल सही रिजल्ट मिलेगा, बल्कि आपके धन और समय की बचत होगी। साथ ही आपको तनाव भी कम होगा।
आजकल अधिकांश पैथोलॉजी टेस्ट सेंटर आधुनिक मशीनों के उपयोग को तरजीह देते हैं। जितनी अधिक एडवांस्ड टेक्नोलॉजी युक्त जांच प्रक्रियाओं और मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा, रिजल्ट उतना ही सटीक होने की संभावना बनेगी। इसलिए किसी भी जांच सेंटर पर जाने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी ले लें। कोशिश करें कि किसी ऐसे सेंटर पर जाएं जहां कराए जाने वाले सभी टेस्ट की जांच की सुविधा हो, ताकि आपका समय बच सके।
जहां तक संभव हो NABL से मान्यता प्राप्त लेबोरेट्रीज पर ही जांच कराएं। इसके अलावा हर राज्य में पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकैमिस्ट्री लैब के संचालन के लिए सरकार के पास जानकारी देकर पंजीकरण कराना जरूरी होता है। कुछ राज्यों में यह नियम है कि एक डॉक्टर दो से अधिक पैथोलॉजी लैब्स में न तो टेस्ट कर सकता है, न ही रिपोर्ट्स पर साइन कर सकता है।
कई डायग्नोस्टिक सेंटर्स पर सेम्पल्स की जांच की सुविधा नहीं होती है, वे लैब नहीं बल्कि कलेक्शन सेंटर के रूप में काम करते हैं, लेकिन प्रचार लैब होने का करते हैं। ऐसे कलेक्शन सेंटर पर सेम्पल देने से बचना चाहिए, क्योंकि सेम्पल यहां कलेक्ट होने के बाद कुछ समय बाद कलेक्शन एजेंट द्वारा लैब में भेजा जाता है, जिसमें काफी वक्त जाया होता है। साथ ही सेम्पल की गुणवत्ता प्रभावित होती है और कई बार सटीक परिणाम प्राप्त नहीं होता। इसमें न केवल अतिरिक्त समय लगता है, वहीं कई बार अतिरिक्त पैसा भी आपको चुकाना पड़ता है।
जांच कराने जाएं तो यह जरूर जांचें कि डायग्लोस्टिक सेंटर पर कार्यरत कर्मचारी अनुभवी हेल्थ प्रोफेशनल्स हों। उनकी यूनिफॉर्म या पहनावे और कस्टमर को डील करने के तरीके से आप काफी कुछ अंदाजा लगा सकते हैं। लैब ऐसा चुनें जहां का वातावरण साफ-सुथरा हो। वहां टॉयलेट्स और पब्लिक प्लेस में हाईजीन को लेकर माकूल इंतजाम किए गए हों।
यदि घर के नजदीक स्थित डायग्नोस्टिक सेंटर अच्छी सेवाएं देता है तो उसे चुना जा सकता है। ऐसा करने पर आपको अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा, भूखा या प्यासा नहीं रहना होगा। साथ ही टेस्ट के बाद बच्चों को भी परेशानी कम होगी। जांच केंद्र चुनते समय समय पर रिपोर्ट देने के साथ-साथ ऑनलाइन या व्हॉट्सएप पर रिपोर्ट उपलब्ध कराने वाले डायग्नोस्टिक सेंटर की सेवाएं चुनें।सीबीसी, यूरिन रूटीन जैसे कुछ टेस्ट्स के परिणाम कुछ ही मिनट्स में आ जाते हैं, इसलिए ऐसे लैब्स का चुनाव करें, जहां जल्दी रिपोर्ट्स दे दी जाती हो। वहीं कम्यूनिकेशन के लिए कस्टमर सपोर्ट का अच्छा होना भी जरूरी है, क्योंकि कई सदस्यों वाले एक परिवार को डायग्नोस्टिक सेंटर्स से कई बार काम पड़ सकता है।
कई बार एक ही टेस्ट के लिए अलग-अलग डायग्नोस्टिक सेंटर अलग-अलग कीमत वसूलते हैं। ऐसे में सावधान रहें। किसी टेस्ट को कराने से पहले दो-तीन सेंटर्स पर उपलब्ध फीचर्स और कीमतों को जांच लें। वहीं सोशल मीडिया साइट्स पर भी बेहद कम दामों में टेस्ट कराने के भ्रामक विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं। ये फर्जी भी हो सकते हैं। इनसे सावधान रहें, क्योंकि सस्ते के लालच में कहीं आपको फर्जी जांच रिपोर्ट न पकड़ा दी जाए, जो जीवनभर की परेशानी बन जाए। आप चाहें तो गूगल पर जाकर विभिन्न डायग्नोस्टिक सेंटर्स की रेटिंग, सर्विस को लेकर कस्टमर्स के कमेंट्स आदि के आधार पर भी तुलना कर सकते हैं।
आपकी प्राइवेसी आपके लिए सेहत की तरह ही महत्वपूर्ण है। चाहे वह आपकी हेल्थ रिपोर्ट्स हो या निजी/आंतरिक अंगों की जांच से जुड़ी। महिलाओं एवं पुरुषों के ऐसे कई टेस्ट होते हैं, जो समलिंगी व्यक्ति द्वारा किए जाएं तो पेशेंट अधिक सहज होता है। टीवीएस अल्ट्रासाउंड, ईसीजी कुछ ऐसे ही टेस्ट हैं, जिन्हें कराते समय महिला डॉक्टर होना अधिक सुविधाजनक रहता है और उसकी प्राइवेसी बनी रहती है। First Updated : Saturday, 22 April 2023