'टॉयलेट की बस कुछ बूंदें और खुल जाएगा प्रेग्नेंसी का राज़! क्या सच में इतना आसान है पता लगाना?'
क्या आप जानते हैं, घर पर किया गया प्रेग्नेंसी टेस्ट 99% तक सटीक हो सकता है? लेकिन यह कैसे काम करता है? और कब करना चाहिए ताकि रिजल्ट सही आए? कुछ पुराने देसी नुस्खे भी प्रेग्नेंसी का अंदाजा लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे, जिनमें गेहूं-जौ टेस्ट और वाइन टेस्ट शामिल हैं! लेकिन क्या ये सच में कारगर हैं? पूरी खबर पढ़ें और जानें वो सारी जरूरी बातें जो हर महिला को पता होनी चाहिए!

The Secret to Pregnancy Detection: अगर आप जानना चाहते हैं कि आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं, तो घर पर किया जाने वाला प्रेग्नेंसी टेस्ट आपका पहला सहारा बन सकता है. ये टेस्ट ज्यादातर मामलों में 99% तक सटीक होते हैं, लेकिन इन्हें सही तरीके से करना बहुत जरूरी है.
प्रेग्नेंसी टेस्ट कैसे काम करता है?
गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए शरीर में बनने वाले hCG (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रॉफिन) हार्मोन का पता लगाया जाता है. यह हार्मोन महिला के शरीर में गर्भधारण के लगभग 6 दिन बाद बनना शुरू हो जाता है. ज्यादातर प्रेग्नेंसी टेस्ट किट में एक या दो स्टिक होती हैं, जिनपर यूरिन डालने के कुछ मिनट बाद रिजल्ट दिखाई देता है.
कब करें टेस्ट ताकि रिजल्ट सही आए?
अगर आपको लगता है कि आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं, तो टेस्ट करने का सही समय पीरियड मिस होने के एक-दो दिन बाद होता है. इस समय तक शरीर में hCG का स्तर बढ़ जाता है और रिजल्ट ज्यादा सटीक आने की संभावना होती है.
प्रेग्नेंसी टेस्ट के रिजल्ट पर क्या असर डाल सकता है?
➢ ओव्यूलेशन का समय – कभी-कभी लेट ओव्यूलेशन के कारण hCG का स्तर देर से बढ़ता है, जिससे टेस्ट जल्दी करने पर निगेटिव आ सकता है.
➢ अनियमित मासिक चक्र – अगर पीरियड्स हमेशा लेट आते हैं तो आपको टेस्ट करने का समय सही चुनना होगा.
➢ कुछ दवाएं – हार्मोनल मेडिसिन्स भी टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकती हैं.
घरेलू नुस्खों से भी पता लगाया जाता था प्रेग्नेंसी
पुराने समय में जब मेडिकल टेस्ट उपलब्ध नहीं थे, तब महिलाएं कुछ घरेलू उपायों से भी गर्भावस्था का अनुमान लगाती थीं. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ पारंपरिक तरीके –
➢ गेहूं और जौ टेस्ट – सुबह के पहले यूरिन को गेहूं और जौ के कंटेनर में डालकर रखा जाता था. अगर कुछ दिनों में बीज अंकुरित हो जाएं, तो इसे गर्भावस्था का संकेत माना जाता था.
➢ एंटीसेप्टिक द्रव टेस्ट – यूरिन में एंटीसेप्टिक लिक्विड मिलाकर उसे कुछ मिनटों के लिए छोड़ दिया जाता था. अगर रंग बदलता था, तो इसे पॉजिटिव माना जाता था.
➢ वाइन टेस्ट – यूरिन की कुछ बूंदें वाइन में मिलाई जाती थीं. अगर वाइन का रंग बदल जाता था, तो इसे गर्भावस्था का संकेत माना जाता था.
हालांकि, इन पारंपरिक तरीकों की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है, इसलिए प्रेग्नेंसी कंफर्म करने के लिए मेडिकल टेस्ट और डॉक्टर की सलाह लेना सबसे बेहतर होता है.
सही नतीजों के लिए क्या करें?
➛ सुबह के पहले यूरिन का इस्तेमाल करें.
➛ टेस्ट करने से पहले किट के निर्देशों को ध्यान से पढ़ें.
➛ अगर पहली बार टेस्ट निगेटिव आए और फिर भी संदेह हो तो 2-3 दिन बाद दोबारा टेस्ट करें.
➛ पक्की पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट और डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
तो अगली बार अगर आपको संदेह हो, तो सही समय पर सही तरीके से टेस्ट करें और डॉक्टर की सलाह जरूर लें!