प्रेग्नेंट हैं तो इन चीजों पर रखें खास ख्याल, वरना बच्चा के साथ आपको भी हो सकता है खतरा

Diabetes in Pregnancy Risks : डायबिटीज से जूझ रही महिलाओं के लिए गर्भावस्था एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है. इस दौरान ब्लड शुगर का असंतुलन न केवल मां की सेहत पर असर डालता है, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को भी प्रभावित कर सकता है. यदि ब्लड शुगर नियंत्रित न हो, तो यह कई गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरे का संकेत हो सकता है.

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Diabetes in Pregnancy Risks : मां बनना किसी भी महिला के जीवन का सबसे खास पल होता है. यह न केवल भावनात्मक, बल्कि शारीरिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होता है. गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे की सेहत का खास ख्याल रखा जाता है, लेकिन हाल ही में एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि खाना पकाने या घर गर्म करने के लिए कोयला और लकड़ी जैसे ठोस ईंधन का उपयोग प्रेगनेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज (Diabetes in pregnancy) का खतरा बढ़ा सकता है. यह स्थिति न केवल मां बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है.

चीन की जुनी मेडिकल यूनिवर्सिटी ने किया ये खुलासा 

आपको बता दें कि चीन की जुनी मेडिकल यूनिवर्सिटी में 4,338 महिलाओं पर एक रिसर्च किया गया. इनमें औसत उम्र 27 साल थी. शोध में पाया गया कि 302 महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण थे. अध्ययन ने यह स्पष्ट किया कि प्रदूषण, खासकर ठोस ईंधन के उपयोग से निकलने वाला धुआं, गर्भावस्था में जटिलताओं का कारण बन सकता है.

बच्चों की ग्रोथ पर पड़ सकता है असर

इसके साथ ही आपको बता दें कि हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि गर्भवती महिला की खराब सेहत सीधे शिशु के विकास पर असर डाल सकती है. अनियंत्रित डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और प्रदूषण जैसे कारक भ्रूण के सामान्य विकास में बाधा डालते हैं. इससे बच्चे का वजन कम, विकास धीमा, या जन्म के समय शारीरिक जटिलताएं हो सकती हैं.

अनियंत्रित डायबिटीज के दुष्प्रभाव

बता दें कि गर्भावस्था की शुरुआती तिमाही में अनियंत्रित डायबिटीज गर्भपात, जन्म दोष और हृदय संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती है. वहीं, उच्च रक्तचाप प्लेसेंटा में रक्त प्रवाह को प्रभावित कर भ्रूण तक पोषण पहुंचाने में रुकावट पैदा करता है.

गर्भावस्था में बीपी और शुगर बढ़ने पर क्या करें?

  • तुरंत डॉक्टर से सलाह लें: यदि ब्लड शुगर या बीपी बढ़ा हुआ है, तो देरी न करें.
  • स्वस्थ आहार अपनाएं: पौष्टिक और संतुलित भोजन का सेवन करें.
  • नियमित व्यायाम करें: डॉक्टर की सलाह से हल्की फिजिकल एक्टिविटी अपनाएं.
  • जांच कराएं: अल्ट्रासाउंड और अन्य जांचों से शिशु की सेहत का समय-समय पर आकलन करें.

बहरहाल, प्रेगनेंसी के दौरान मां की सेहत न केवल बच्चे के जन्म पर बल्कि उसके जीवनभर के स्वास्थ्य पर असर डालती है. ठोस ईंधन के उपयोग से बचना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जेस्टेशनल डायबिटीज और अन्य समस्याओं से बचने में मददगार हो सकता है. डॉक्टर की सलाह और नियमित जांच से गर्भावस्था को सुरक्षित बनाया जा सकता है.

(Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.) First Updated : Sunday, 08 December 2024