National Chai Day 2023: चाय का ज़्यादा सेवन करना सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है. लेकिन चाय की एहमियत सिर्फ वो ही समझ सकता है जो चाय लवर होता है. कुछ लोगों के दिन की शुरुआत चाय के बिना नहीं हो पाती है. जो चाय पीना पसंद करता है उसका चाय को लेकर अपना एक अलग टेस्ट होता है. आज भारत में राष्ट्रीय चाय दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है.
भारत में कैसे हुई चाय की शुरुआत
एक कहावत बहुत मशहूर है कि अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अंग्रेजी यहीं छोड़ गए. चाय के मामले में भी ये कहावत सही साबित होती है. क्योंकि अंग्रेजी के अलावा भी अंग्रेज चाय हमारे यहां छोड़ गए थे. बिट्रेन से भारत आए अंग्रेज चाय अपने साथ लेकर आए थे. साल 1834 में जब गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत आए, तो उन्होंने असम में कुछ लोगों को चाय की पत्तियों को उबालकर दवाई की तरह पीते हुए देखा. इसके बाद बैंटिक ने असम के लोगों को चाय की जानकारी दी और इस तरह भारत में चाय की शुरुआत हुई.
1835 में शुरू हुई चाय की खेती
1834 में जब गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक के जानकारी देने के लगभग एक साल बाद 1835 में असम में चाय के बाग लगाए गए. इसके बाद 1881 में इंडियन टी एसोसिएशन की बुनियाद रखी गई. अब इसकी खेती अन्तर्राष्ट्रीय के लिए की जाने लगी थी. चाय का बिजनेस अंग्रेजों की कमाई का एक अच्छा जरिया था. भारत में चाय उगाई जाती और उसको विदेशों में बेचा जाता था.
5000 साल पुराना है चाय का इतिहास
बहुत कम लोगों को पता है कि चाय की खोज गलती से हुई थी. दरअसल चाय का इतिहास चीन से जुड़ा है, जहां पर 2732 बीसी में एक राजा के उबलते पानी में कुछ जंगली पत्तियां गिर गई थीं जिसमें से एक अलग तरह की महक आ रही थी, साथ ही पानी का रंग भी बदल गया था. इसके बाद राजा ने उसको पीकर देखा. उस पानी को पीने के बाद उनको ताज़गी महसूस हुई. इस तरह से चाय की उत्पत्ती हुई.
First Updated : Thursday, 21 September 2023