नाइट सिफ्ट करना कितना खतरनाक? नींद की कमी से हो सकती हैं ये गंभीर बीमारी
Night Shift Cancer Risk: आज के समय में कई कंपनियां ऐसा होती हैं जो नाईट सिफ्ट करवाती हैं. कुछ विदेशी कंपनी होती हैं तो कुछ भारत की कंपनी भी ऐसी होती हैं जिसमें काम करना पड़ता है. लेकिन क्या आपको पता है कि नाइट शिफ्ट करना सेहत के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसा करना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है. इससे कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है.
Night Shift Cancer Risk: शहरी जीवन में कई लोग नाइट शिफ्ट करते हैं. दूसरी ओर कई तरह की मजबूरियां और कई गंदी आदतों की वजह से भी आजकल लोगों को देर रात तक जागने की आदत है. यदि आप भी इनमें से एक हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि रात में अपनी नींद खराब करना कैंसर की वजह भी बन सकता है. ये बात एक रिसर्च में सामने आई है.
इसके पीछ हमारा एक हार्मोन जिम्मेदार है. इस हार्मोन के कारण हमरा बायोलॉजिकल क्लॉक खराब हो जाता है. जब बायोलॉजिकल क्लॉक खराब होता है तब ब्रेस्ट, कोलोन, ओवरीज और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. इतना ही नहीं इससे पूरे शरीर पर असर पड़ता है.
मेलाटोनिन से ही आती है नींद
मेलाटोनिन एक हार्मोन होता है. मेलाटोनिन हार्मोन रात के समय ज्यादा रिलीज होता है. ये दिमाग से निकलता है और पूरे शरीर को रिलेक्स पहुंचाता है और नींद की गहराई में धकेल देता है. ये हार्मोन तब ज्यादा रिलीज होता है जब अंधेरा हो जाता है. लेकिन जब आप रात में देर से सोते हैं तो इस वजह से भी मेलाटोनिन हार्मोन कम बनने लगे हैं. मेलोटोनिन हार्मोन का काम सिर्फ नींद ही दिलाना नहीं है बल्कि ये शरीर के सर्केडियन लय को नियंत्रित करता है. अगर सर्केडियन लय गड़बड़ाता है तो इससे पूरी बॉडी में हलचल मच जाती है.
कैंसर का खतरा
स्टडी में पाया गया है कि शरीर में मेलाटोनिन लेवल और कोलोरेक्टल, प्रॉस्टेट, ब्रेस्ट, गैस्ट्रिक, ओवेरियन, लंग और ओरल कैंसर के बीच एक सीधा लिंक है. दरअसल, रात में मेलाटोनिन का प्रोडक्शन जब रिलीज होता है वह सोने या नींद आने का सामान्य समय होता है लेकिन यदि किसी न किसी वजह से आप ठीक से नींद नहीं लेंगे तो शरीर में मेलाटोनिन की मात्रा कम होने लगती है. इससे कई प्रकार के कैंसर को बढ़ावा मिलता है. इसलिए जो लोग नाइट शिफ्ट की जॉब करते हैं, उनमें कैंसर का खतरा बढ़ा हुआ रहता है.
नींद के लिए क्या करें
हमारे लिए सबसे जरूरी है कि शरीर का सिर्केडियन लय सही से चले. हर दिन सात से आठ घंटे सोने की कोशिश करें. अच्छी और गहरी नींद जरूरी है. सोने से पहले कमरे की लाइट बंद कर दें और मोबाइल का इस्तेमाल बिल्कुल न करें क्योंकि इससे निकलने वाली ब्लू लाइट भी आंखों को नुकसान पहुंचाने के साथ मेलाटोनिन के प्रोडक्शन को भी अपसेट करता है. कमरे में सोने का अच्छा माहौल बनाएं, क्योंकि नींद की क्वांटिटी के साथ इसकी क्वालिटी भी बहुत मायने रखती है. कमरे में शांति हो, कम रोशनी हो और रिलेक्स फील हो, ऐसा माहौल बनाएं.