Pakistan Pollution: पाकिस्तान के प्रमुख शहर लाहौर और कराची इन दिनों गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं, जिससे नागरिकों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. इन दोनों शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) इतनी खतरनाक स्थिति में पहुँच चुका है कि यह शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, लाहौर का AQI 354 है, जिससे यह शहर प्रदूषण के मामले में पहले स्थान पर है, जबकि कराची का AQI 164 है, और यह भी एक उच्च स्तर के प्रदूषण को दर्शाता है. इन दोनों शहरों की वायु गुणवत्ता से न केवल पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ रहा है.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर की 11 मिलियन से ज्यादा की आबादी वर्षों से खराब हवा का सामना कर रही है, और अब यह समस्या और भी विकट होती जा रही है. सर्दियों में वायु गुणवत्ता और भी बिगड़ जाती है, जिससे सांस संबंधी समस्याएं जैसे अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां आम हो गई हैं.
लाहौर और कराची की वायु गुणवत्ता के बिगड़ने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख कारण हैं वाहनों और औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाला धुआं और फसलों को जलाना. खासकर सर्दियों में, जब हवा ठंडी होती है, तो प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ जाता है. लाहौर में वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं 80 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, जबकि कराची में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत तक पहुंचता है. इसके अलावा, कृषि क्षेत्रों में फसल जलाने से निकलने वाले धुएं का भी प्रदूषण पर गहरा असर पड़ता है.
वायु प्रदूषण के कारण लाहौर और कराची में स्वास्थ्य संकट भी गहराता जा रहा है. पिछले महीने, स्मॉग के कारण लगभग 18,86,586 लोग बीमार हुए, जिनमें से 1,29,229 लोग श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए अस्पतालों में भर्ती हुए. श्वसन संबंधी बीमारियों, सीने में दर्द और स्ट्रोक की शिकायतों में रोजाना वृद्धि हो रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 61,00,153 लोगों में कार्डियोथोरेसिक समस्याएं भी देखने को मिली हैं. इस स्थिति ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि वायु प्रदूषण विशेष रूप से पहले से बीमार लोगों के लिए खतरे का कारण बन सकता है.
वहीं, पाकिस्तान में सर्दियों के मौसम में खसरे का खतरा भी बढ़ चुका है, जिससे बच्चों और कमजोर व्यक्तियों के लिए अधिक खतरा उत्पन्न हो गया है. खसरे के लक्षणों में बहती नाक, बुखार, खांसी, लाल आंखें और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं. विशेष रूप से कुपोषित बच्चे इस संक्रामक बीमारी के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं. डॉक्टरों ने बच्चों को खसरे से बचाने के लिए सलाह दी है कि उन्हें नौ महीने से डेढ़ साल की उम्र के बीच टीका लगाया जाए, ताकि यह बीमारी फैलने से रोकी जा सके.
पाकिस्तान के पर्यावरण से जुड़ी नॉन-गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन 'क्लाइमेट एक्शन सेंटर' (CAC) के निदेशक यासिर हुसैन ने कहा, "कराची और लाहौर में प्रदूषण के प्रमुख कारण पेट्रोल और डीजल वाहनों से निकलने वाला धुआं हैं. इन वाहनों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसें और पार्टिकुलेट मैटर इन दोनों शहरों के वायु गुणवत्ता को बेहद प्रभावित कर रहे हैं." यासिर हुसैन के अनुसार, अगर सरकारें और नागरिक मिलकर इन कारणों पर ध्यान नहीं देंगे, तो प्रदूषण में और वृद्धि हो सकती है, जो गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है.
हालांकि, प्रदूषण कम करने के लिए कुछ प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन कराची और लाहौर की वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है. यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति और अधिक विकराल हो सकती है. प्रदूषण के खिलाफ सार्थक कार्रवाई, सार्वजनिक परिवहन में सुधार, और स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने जैसे उपायों को अपनाकर इस संकट से निपटा जा सकता है. First Updated : Thursday, 02 January 2025