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ब्लड कैंसर में टी-सेल की भूमिका पर जामिया का शोध, सस्ता इलाज होगा संभव

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शोधकर्ताओं ने मेडिकल जगत के लिए एक महत्वपूर्ण खोज की है. इस खोज से ब्लड कैंसर के इलाज में एक नई दिशा मिलेगी जहां कैंसर का इलाज सस्ता और प्रभावी हो सकता है. वहीं इसका भविष्य में व्यापक इस्तेमाल कैंसर की जड़ से लड़ने के लिए मददगार साबित होगा.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शोधकर्ताओं ने एक बड़ा कदम उठाते हुए ब्लड कैंसर के इलाज में नई उम्मीद जगाई है. शोधकर्ताओं ने टी-सेल को आनुवंशिक रूप से मोडिफाई करने में सफलता प्राप्त की है, जिससे न केवल ब्लड कैंसर के इलाज में मदद मिल सकेगी, बल्कि इलाज की लागत भी सस्ती हो सकेगी. इस क्रांतिकारी शोध के लिए पेटेंट का आवेदन भी किया गया है और यह शोध अब इंटरनेशनल जर्नल सेल रिपोर्ट मेडिसिन में प्रकाशित होने के लिए स्वीकार किया गया है.

ब्लड कैंसर से लड़ने की नई रणनीति

जामिया के मल्टी डिस्प्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (MCARS) के निदेशक प्रो. मोहम्मद हुसैन के नेतृत्व में यह शोध किया गया है. प्रो. हुसैन ने बताया कि सीएआर टी-सेल थेरेपी (Chimeric Antigen Receptor T-cell Therapy) के तहत, मरीज की अपनी टी कोशिकाओं को आनुवंशिक रूप से मोडिफाई किया जाता है. इस प्रक्रिया में टी-सेल को इस तरह बदला जाता है कि वह कैंसर कोशिकाओं को पहचान सके और उन्हें नष्ट कर सके. इस तकनीक से ब्लड कैंसर के मरीजों का इलाज करना ज्यादा प्रभावी और किफायती हो सकता है.

ब्लड कैंसर में टी-सेल की भूमिका

टी-सेल एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है. यह कोशिका किसी भी संक्रमण या बीमारी से लड़ने में मदद करती है. हालांकि, जब टी-सेल में कोई गड़बड़ी होती है, तो यह कैंसर का रूप ले सकती है. इस शोध के तहत, जामिया के शोधकर्ताओं ने इन टी-सेल को आनुवंशिक रूप से इस तरह से मोडिफाई किया है कि वे कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ सक्रिय हो जाएं. यह मोडिफाइड टी-सेल कैंसर कोशिकाओं पर हमला करते हैं और उन्हें तेजी से नष्ट कर सकते हैं.

सस्ता इलाज और नई उम्मीद

इस तकनीकी उन्नति के साथ, कैंसर के इलाज के लिए एक सस्ता और प्रभावी विकल्प उपलब्ध हो सकता है. खासकर उन मरीजों के लिए जिनके लिए कैंसर का इलाज बेहद महंगा होता है. इस शोध के जरिए, ब्लड कैंसर के मरीजों को अब एक नई उम्मीद मिल सकती है, क्योंकि यह इलाज ज्यादा किफायती और परिणामकारी साबित हो सकता है.

अंतरराष्ट्रीय पहचान और पेटेंट आवेदन

इस क्रांतिकारी शोध को अब इंटरनेशनल जर्नल सेल रिपोर्ट मेडिसिन में स्वीकार कर लिया गया है, जो इस क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर है. इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने इस सीएआर टी-सेल थेरेपी के पेटेंट के लिए आवेदन भी किया है, जिससे भविष्य में इस तकनीक के इस्तेमाल में तेजी आएगी और इससे लाखों मरीजों का इलाज किया जा सकेगा.

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10 March 2025, 09:08 AM IST

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