Kerala Population Decline: भारत का केरल राज्य, जिसे उसकी समृद्ध शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर के लिए जाना जाता है, अब घटती आबादी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. जहां एक ओर विकसित देशों जैसे जापान और दक्षिण कोरिया में घटती जनसंख्या चिंता का विषय बनी हुई है, वहीं भारत के इस विकसित राज्य में भी यही समस्या तेजी से उभर रही है.
जनसंख्या दर में ऐतिहासिक गिरावट
आपको बता दें कि 2024 की अनुमानित रिपोर्ट के अनुसार, केरल की जनसंख्या लगभग 3.6 करोड़ है, जो 1991 में 2.90 करोड़ थी. यानी 35 वर्षों में मात्र 70 लाख की वृद्धि हुई है. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की आबादी 3.34 करोड़ थी.
फर्टिलिटी रेट में भारी गिरावट
वहीं आपको बता दें कि 'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार, केरल की फर्टिलिटी रेट अब 1.35% पर पहुंच गई है, जो जनसंख्या स्थिरता के लिए आवश्यक 2.1% से काफी कम है. 1987-88 में केरल ने 2.1% का स्तर छू लिया था, लेकिन इसके बाद लगातार गिरावट जारी है. 2020 में यह 1.5% और 2021 में 1.46% थी. अब 2023 में यह और गिरकर 1.35% पर आ गई है.
पिछले वर्षों में गिरते जन्म दर के आंकड़े
बताते चले कि 2018 तक केरल में प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख बच्चे जन्म लेते थे, लेकिन 2023 में यह संख्या घटकर 3,93,231 हो गई. 2021 में यह आंकड़ा 4,19,767 था. यह गिरावट बताती है कि यहां अधिकतर दंपति सिर्फ एक ही बच्चा पैदा कर रहे हैं या कई तो संतानहीन भी हैं.
स्वास्थ्य सुविधाओं के बावजूद समस्या क्यों?
वहीं केरल की स्वास्थ्य व्यवस्था देश में सबसे बेहतर मानी जाती है. यहां करीब 100% बच्चे अस्पतालों में जन्म लेते हैं और शिशु मृत्यु दर मात्र 6 प्रति 1000 है, जो राष्ट्रीय औसत 30 से काफी बेहतर है.
आगे क्या होगा?
इसके अलावा आपको बता दें कि अगर यही प्रवृत्ति जारी रही, तो विशेषज्ञों के अनुसार, केरल की जनसंख्या घटने लगेगी और इसका असर सामाजिक और आर्थिक संरचना पर पड़ेगा. First Updated : Monday, 13 January 2025