Infertility News: क्या आपने और आपके जीवनसाथी ने देरी से शादी की है और क्या अब आपको बच्चे पैदा करने में समस्या आ रही है, तो आप अकेले नहीं है. आंकड़े बताते हैं कि देरी से शादी करने वाले 10 से 15% दंपति बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं. देरी से शादी करने वालों में बांझपन की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जैसे आपको या आपके साथी को स्वास्थ्य समस्या होना. बांझपन का आपके साथी के स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
भारत में बांझपन एक बड़ी समस्या बनती जा रही है फिर भी सार्वजनिक तौर पर स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा के दौरान इस समस्या को नजर अंदाज किया जाता है जिसका लंबे समय में लोगों के प्रजनन जीवन पर जबरदस्त हानिकारक प्रभाव पड़ता है.
बांझपन की समस्या से निजात दिलाने में कई तरह के तरीके कारगर हैं. कई तरह की थैरेपी हैं जो इस समस्या से निजात दिलाने में मददगार हैं, हालांकि कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें लाख कोशिशों के बाद भी दंपति को संतान सुख नहीं मिल पाता.
आइए जानते हैं वर्तमान समय में दंपति में बांझपन के कारण और उनके इलाज के बारे में...
विवाह में देरी से बढ़ रही बांझपन की समस्या
नर्चर आईवीएफ क्लिनिक में स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्रसूति विशेषज्ञ और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज के अनुसार, 'विवाह में देरी के कारण अक्सर गर्भधारण करने में समस्या आती है लेकिन आधुनिक तकनीक से इसका समाधान भी मुमकिन है. इसके अलावा बांझपन कई अन्य कारणों पर भी निर्भर करती है. IVF और ICSI जैसे इलाज से दंपति संतान सुख की प्राप्ति कर सकते हैं.'
परेशान होने की जरूरत नहीं
डॉक्टर कहती हैं कि अगर आप भी बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको परेशान होने के बजाय सही समय पर सही इलाज लेने की जरूरत है. देर से शादी करने वालों में बांझपन के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक उनके प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थता है.
अगर 6 महीने के प्रयास के बाद भी आपको गर्भधारण करने में समस्या हो रही है तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. 35 साल से ज्यादा आयु की महिलाओं में बांझपन की समस्याएं बढ़ने लगती हैं.
एग रिजर्व में गिरावट
बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में एग बनने कम हो जाते हैं जो बांझपन का एक प्रमुख कारण है. महिलाएं अंडों की एक निश्चित मात्रा के साथ पैदा होती हैं. जन्म होने के साथ ही उनमें अंडों की संख्या घटने लगती है. 35 साल की उम्र के बाद अंडों की संख्या में तेज गिरावट आती है.
कामकाजी महिला में बांझपन की समस्या अधिक
एक शोध के अनुसार, कामकाजी महिलाओं में बांझपन की समस्या अधिक होती है क्योंकि उनके ऊपर काम का तनाव अधिक होता है जिससे उनकी मासिक धर्म की साइकिल प्रभावित होती है. किसी भी प्रकार का तनाव आपकी मासिक धर्म के चक्र को प्रभावित करता है, तनाव बांझपन की समस्या को बढ़ाने में एक प्रमुख कारक बनकर उभरा है. मासिक धर्म की साइकिल प्रभावित होने से पॉलिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम और अन्य बीमारी हो जाती है जो बाद में बांझपन की समस्या में बदल सकती है.
ऐसी महिलाएं रहें सावधान
जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द होता है, या आपकी मासिक धर्म की साइकिल अनियमित है, या आपको मासिक धर्म के दौरान ज्यादा रक्तस्राव होता है, अंडों की संख्या घट रही है या आपके परिवार में गर्भपात का इतिहास रहा है या आपको किसी प्रकार की कोई स्वास्थ्य समस्या है तो यह आपके प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है, ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए.
इसके अलावा, पुरुषों में इरेक्टिकल डिसफंग्शन, शुक्राणुओं में गिरावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं जो दंपति में बांझपन की समस्या का कारण बन सकती हैं.
देर से शादी करने वालों के लिए बांझपन का उपचार
अगर आपकी शादी देरी से हुई है और अगर आप लंबी कोशिशों के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है. आज मेडिकल साइंस में इसके कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं जैसे प्रजनन संबंधी दवाएं, सर्जरी आदि.
ART (Assisted Reproductive Technology): एआरटी बांझपन की समस्या से निजात पाने का एक कारगर तरीका हो सकता है. एआरटी में IVF और IUI जैसी तकनीक शामिल होती हैं. इसके अलावा ICSI ( Intracytoplasmic Sperm Injection) प्रजनन क्षमता को बढ़ाने का एक अन्य तरीका है. रिसर्च के अनुसार, देरी से शादी करने वाली महिलाओं में IVF बांझपन की समस्या से निजात पाने का सबसे अच्छा तरीका है.
First Updated : Friday, 20 September 2024