क्या नॉन-वेज खाने से बढ़ रहा खतरनाक वायरस का खतरा 75% जानवरों की वजह से फैली रही ये घातक बीमारियां

Monkeypox: अफ्रीकी देशों के अलावा कई देशों में मंकीपॉक्स वायरस का खतरा मंडरा रहा है. अब भारत में भी इस वायरस का खतरा मंडराने लगा है. दिल्ली के LNJP अस्पताल में इस वायरस का मामला देखने को मिला है. इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि क्या नॉन-वेज खाने से इस तरह के खतरनाक वायरस का खतरा बढ़ता है तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

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Monkeypox: कोरोना वायरस के बाद दुनिया भर में अब मंकीपॉक्स वायरस का खतरा मंडरा रहा है. इस वायरस की शुरुआत अफ्रीका देश से शुरू हुई थी जो अब पूरी दुनिया में अपना पैर पसार रही है. हाल ही में भारत में इसका मामला देखने को मिला जिसको लेकर भारत सरकार अलर्ट पर है. साल 2003 से सार्स वायरस उसके बाद 2009 में मर्स और H1N1 स्वाइन फ्लू. इसके बाद इबोला भी बार बार फैलता रहता है. जीका वायरस भी अभी खत्म नहीं हुआ है. वहीं 2019 में एक वायरल कोविड आया जिसने लाखों करोड़ों लोगों की जान ले ली. 14-20 सालों में दुनियाभर में फैली इन सभी वायरस से कई खतरनाक बीमारियां पैदा हुई जो जानवरों से फैला हुआ है.

इस बीच सवाल ये है कि आखिर जानवरों से ही बीमारियां क्यों फैल रही है? ये वायरस क्या नॉन वेज खाने से ही फैलती है? विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि हर साल 1 अरब से ज्यादा लोग जानवरों से फैली बीमारी के कारण बीमार पड़ते हैं. इनमें से लाखों की मौत भी हो जाती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का ये भी दावा है कि बीते तीन दशकों में इंसानों में 30 तरह की नई बीमारियां आई हैं और इनमें से 75% जानवरों की वजह से फैली हैं. ये बीमारियां जानवरों को खाने या उन्हें बंदी बनाकर रखने से फैली हैं.

मंकीपॉक्स की शुरुआत कैसे हुई?

दरअसल, साल 1950 में पोलियो एक खतरनाक बीमारी बनती जा रही थी. वैज्ञानिक इस बीमारी को खत्म करने के लिए वैक्सीन पर काम कर रहे थे. वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने बड़ी संख्या में बंदरों को एक लैब में रखा गया था. साल 1958 में इस लैब में रखें बंदरों में एक अजीब तरह की बीमारी देखने को मिली जो चेचक की तरह थे. ये बंदर मलेशिया से कोपनहेगन लाए गए और जांच किए गए. जांच में पता चला कि ये एक नया वायरस है जिसे वैज्ञानिकों ने मंकी पॉक्स नाम दिया.

पहली बार इंसानो में कब दिखी मंकीपॉक्स वायरस

साल 1958 से लेकर 1968 के बीच सैकड़ों बंदरों में मंकीपॉक्स वायरस फैल गई. उस समय वैज्ञानिकों को लगा कि ये वायरस एशिया से फैल रही है लेकिन जब भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया और जापान के हजारों बंदरों का ब्लड टेस्ट किया गया तो इनमे मंकीपॉक्स के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं मिली. काफी रिसर्च के बाद भी वैज्ञानिकों को इस वायरस का सोर्च नहीं पता चला. इस बीमारी की गुत्थी तब सुलझी जब पहली बार एक इंसान इस वायरस से संक्रमित मिला. साल 1970 में कॉन्गो में रहने वाले 9 महीने के बच्चे  के शरीर पर दाने निकले थे. जब इस बच्चे के सैंपल की जांच की जाए तो उसमें मंकीपॉक्स की पुष्टि की गई.

मंकीपॉक्स वायरस का सोर्स कैसे पता चला?

किसी इंसान के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने का पहला मामला सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने मंकीपॉक्स वायरस का सोर्स पता करने के लिए कई अफ्रीकी देशों में जब बंदरों और गिलहरियों का टेस्ट किया गया. इस टेस्ट में पता चली की अफ्रीका से ही मंकीपॉक्स वायरस एशियाई बंदरों में ये वायरस फैला. जानवरों में फैलने के बाद ये वायरस इंसानों में भी फैलना शुरू हो गया. 2003 में पहली बार ये वायरस अफ्रीका से बाहर इंसानो के बीच फैला था. रिसर्च में पता चला कि पालतू कुत्ते की वजह से एक अमेरिकी व्यक्ति में एक वायरस फैल था. ये कुत्ता अफ्रीकी देश घाना से लाया गया था इसी वजह से वो भी इस संक्रमण से पीड़ित हो गया था.

भारत में भी मंकीपॉक्स से संक्रमित हुआ एक एक व्यक्ति

भारत में भी मंकीपॉक्स से संक्रमित एक व्यक्ति की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि, 50 साल बाद भी मंकीपॉक्स के संक्रमण और ट्रांसमिशन को लेकर कई स्टडी हो रही है. LNJP अस्पताल के डॉक्टर सुरेश कुमार ने कहा, 'मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मामला हमारे पास आया, हमने इसका परीक्षण किया. मरीज को बुखार और शरीर में दर्द था और सैंपल को पुणे भेजा गया. यह पॉजिटिव पाया गया और इसमें पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन पाया गया है. घबराने की जरूरत नहीं है, मरीज आइसोलेशन में है.'

क्या नॉनवेज खाने से बढ़ा खतरा

WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है. मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है. ये वायरस उसी वैरियोला वायरस फैमिली (Variola Virus) का हिस्सा है, जिससे चेचक होता है. मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे ही होते हैं. हालांकि ये ज्यादा घातक नहीं लेकिन इसको लेकर अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि ये बीमारी किस वजह से फैल रही है. हालांकि, सिंगापुर की खाद्य एजेंसी का मानना है कि अफ्रीका से आने वाले मांस से मंकीपॉक्स फैल रहा है. कुछ साल पहले इन वायरस को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि कोविड आखिरी महामारी नहीं है और भविष्य में और भी महामारियों का सामना करना पड़ेगा.  साल 2013 में संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि लाइवस्टॉक हेल्थ हमारी ग्लोबल हेल्थ चेन की सबसे कमजोर कड़ी है. एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 90% से ज्यादा मांस फैक्ट्री फार्म से आता है. इन फार्म्स में जानवरों को ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है. इससे वायरल बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

First Updated : Friday, 13 September 2024