समंदर की गहराइयों में मिली पीली ईंट की रहस्यमयी सड़क, वैज्ञानिक भी रह गए दंग!
वैज्ञानिकों ने प्रशांत महासागर की गहराइयों में 3,000 मीटर नीचे एक रहस्यमयी पीली ईंट जैसी संरचना खोज निकाली, जो किसी प्राचीन सड़क जैसी दिखती है. रिसर्च में पाया गया कि ये किसी मानव सभ्यता की निशानी नहीं, बल्कि ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण बनी एक प्राकृतिक संरचना है. ये हाइलोक्लास्टाइट चट्टान है, जो लावा के ठंडे पानी में तेजी से ठंडा होने और टूटने की प्रक्रिया के कारण आयताकार ब्लॉक्स में बदल गई.

प्रशांत महासागर के नीचे वैज्ञानिकों को एक ऐसी रहस्यमयी संरचना मिली है, जिसने सभी को चौंका दिया. वैसे तो हम जानते ही हैं ईंट का रंग लाल होता हैं, लेकिन जो संरचना खोजी गई वो बिल्कुल पीली ईंट की सड़क जैसी दिखती है. लेकिन सबसे हैरानी की बात तो ये है कि यहां पहले कभी किसी प्राचीन मानव सभ्यता के मौजूद होने के कोई प्रमाण नहीं मिले तो ये रहस्यमयी सड़क कहां से आई? इस खोज पर वैज्ञानिकों ने गहन अध्ययन किया और इसके पीछे छिके रहस्य का खुलासा भी किया.
ये चौंकाने वाली खोज E/V Nautilus नाम के अनुसंधान जहाज पर सवार वैज्ञानिकों की टीम ने की. ये जहाज Ocean Exploration Trust द्वारा संचालित किया जाता है और हाल ही में प्रशांत महासागर के लिलिउओकलानी रिज क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहा था.
3,000 मीटर की गहराई में मिली 'सड़क'
रिसर्चर्स को करीब 3,000 मीटर की गहराई पर एक प्राचीन सूखी झील के अवशेष मिले, जहां पत्थरों की संरचनाएं इतनी व्यवस्थित और चौकोर थी कि ऐसा लग रहा था जैसे किसी इंसान ने वहां एक सड़क बना दी हो. इसे देखकर एक वैज्ञानिक ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि ये तो अटलांटिस की सड़क जैसी लगती है.
ये सड़क किसी प्राचीन सभ्यता की निशानी?
वहीं, जब इस संरचना को भूवैज्ञानिकों ने गहराई से स्टडी किया, तो पता लगा कि ये किसी प्राचीन मानव सभ्यता का नहीं था. ये पूरी तरह प्राकृतिक प्रक्रियाओं का परिणाम था, जिसे हजारों सालों में समुद्र की गहराइयों में चल रही भूगर्भीय हलचलों ने बनाया था.
इस खोज को लेकर, वैज्ञानिकों ने बताया कि ये रहस्यमयी सड़क दरअसल ज्वालामुखीय गतिविधियों का परिणाम थी. ये चट्टान संभवतः हाइलोक्लास्टाइट (hyaloclastite) थी, जो तब बनती है जब लावा समुद्र के ठंडे पानी के संपर्क में आकर अचानक ठंडा हो जाता है और छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है. बार-बार गर्म होने और ठंडा होने की प्रक्रिया से ये पत्थर आयताकार ब्लॉक्स में विभाजित हो गए, जिससे ये ईंटों जैसी सड़क की तरह दिखाई देने लगी.