Pradosh Vrat 2024: साल का प्रथम बुध प्रदोष व्रत आज, इस दिन शिव की पूजा से मिलता है सुखी जीवन
Pradosh Vrat 2024: प्रदोष काल के दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से अनेक रोगों से छुटकारा मिलता है, इसके लिए शाम के समय आप शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल, पुष्प, दूध अर्पित करें.
हाइलाइट
- बेलपत्र के वृक्ष के पास घी का दीपक जलाना चाहिए.
- आज के दिन रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.
Pradosh Vrat 2024: साल 2024 का प्रथम बुधवार प्रदोष व्रत आज यानी 7 फरवरी को है, यह दिन भगवान शिव को समर्पित है. इस व्रत को महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. प्रदोष काल में शिव की आराधना करने से मन की हर इच्छा पूरी होती है. इस दिन आप संध्याकाल में भगवान शिव की आराधना करें. ऐसा करने से आपके जीवन में महादेव की कृपा बनी रहेगी. साथ ही जीवन की हर समस्या महादेव दूर करेंगे.
रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ
शिव पुराण में भगवान भोलेनाथ की आराधना का विशेष महत्व बताया गया है. देवों के देव महादेव को खुश करने के लिए आप आज के दिन रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करें. कहा जाता है कि, प्रदोष व्रत के दिन इस पाठ को करने से इंसान के जीवन की हर समस्या दूर होने के साथ अनेक रोगों से छुटकारा मिलता है. महादेव के मंदिर में प्रदोष काल के दिन शाम के समय दीपक जलाना चाहिए. शिवलिंग पर चंदन, फूल, दूध, बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही बेलपत्र के वृक्ष के पास घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी आपके घर में सदैव बनी रहती है.
1- रुद्राष्टकम स्तोत्र
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।
निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।
करालं महाकालकालं कृपालं ।
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।
2- शिव को पुकारने का स्त्रोत
नम: शिवायास्तु निरामयाय नम: शिवायास्तु मनोमयाय। नम: शिवायास्तु सुरार्चिताय तुभ्यं सदा भक्तकृपापराय।।
3- शिव को खुश करने का स्त्रोत
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्। विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।
4- शिव की कृपा पाने का स्त्रोत
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं । विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥ शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।