Gorakhpur AIIMS: गोरखपुर में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए एक नई पहल की जा रही है. गंभीर डिपरेशन से जूझ रहे मरीज, जिनमें आत्महत्या के विचार, निराशा और तनाव जैसी समस्याएं होती हैं, अब चुंबकीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक स्टिमुलेशन के जरिए ठीक हो सकेंगे. इसके लिए एम्स में जल्द ही न्यूरो माड्यूलेशन यूनिट स्थापित की जाएगी.
गंभीर अवसाद के कारण आत्महत्या जैसे विचारों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह मशीन जीवनदायक साबित होगी. न्यूरो माड्यूलेशन विधि के जरिए मस्तिष्क की अराजक गतिविधियों को नियंत्रित किया जाएगा. इस तकनीक में मरीज को हल्के इलेक्ट्रिक झटके और चुंबकीय ऊर्जा देकर उसके मस्तिष्क को सक्रिय किया जाएगा.
एम्स के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पृथ्वीराज के अनुसार, इस तकनीक में मरीज को किसी तरह का दर्द या तकलीफ नहीं होती. हल्के झटकों और चुंबकीय उत्तेजना के जरिए मस्तिष्क के उन हिस्सों को सक्रिय किया जाता है जो अवसाद के कारण निष्क्रिय हो चुके होते हैं. इससे मरीज को मानसिक शांति और आराम का अनुभव होता है.
बार-बार एक ही काम या बात को दोहराना, डर जाना, अचानक निराशा में रो पड़ना जैसे लक्षण अवसाद की श्रेणी में आते हैं. मैग्नेटिक स्टिमुलेशन के तहत मस्तिष्क के विशेष क्षेत्रों में चुंबकीय ऊर्जा का उपयोग किया जाता है, जिससे अवसादग्रस्त हिस्से को सक्रिय किया जा सके.
गंभीर मानसिक रोगियों के लिए इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (ईसीटी) दी जाएगी. इस प्रक्रिया में पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाएगा और फिर हल्के झटके देकर मस्तिष्क को उत्तेजित किया जाएगा. थेरेपी के बाद मरीज की दो घंटे तक निगरानी की जाएगी. इस प्रक्रिया को सप्ताह में तीन बार तक किया जाएगा.
एम्स गोरखपुर के मीडिया प्रभारी डॉ. अरुप मोहंती ने बताया कि माड्यूलेशन यूनिट लगने से मानसिक रोगियों के इलाज में काफी मदद मिलेगी. गंभीर मानसिक समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के लिए यह एक कारगर और आधुनिक समाधान है.
मानसिक रोग को अब समाज में बीमारी के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है. गोरखपुर एम्स की यह पहल मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उन्हें आधुनिक तकनीक से ठीक करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. मरीज और उनके परिवार के लिए यह राहत की खबर है कि अवसाद और मानसिक तनाव से बाहर निकलना अब संभव है. First Updated : Monday, 02 December 2024