खुश रहना है, कोई टेंशन नहीं है, फ्री ऑफ माइंड हैं...ये शब्द आजकल के सिंगल लोग बड़े गर्व के साथ अपने बारे में बताते हैं और बताएं भी क्यों न? दरअसल, वो अपनी मर्जी से सिंगल हैं, न किसी परिस्थिति के कारण, वे अपने सिंगलहुड का भरपूर फायदा उठा रहे हैं. वह निजी तौर पर तो जीवन में आगे बढ़ रही रहे हैं, साथ ही प्रोफेशनल लाइफ में भी वह तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं.
समाज उन्हें अलग नजरिए से देखता है. कुछ लोग तो सिंगल लोगों को अलग-अलग तरह के ऑफर करने लगते हैं. मैं पार्टनर ढूंढने में तुम्हारी मदद करूंगा, तुम डेटिंग एप डाउनलोड क्यों नहीं करते. मैं तुम्हारे लिए ब्लाइंड डेट के लिए कोशिश करता हूं या फिर तुम चाहो तो किसी ज्योतिषी से इस बारे में बात करूं. क्या कभी-कभी तुम्हें अकेलापन महसूस नहीं होता. यदि तुम अभी भी अपने अकेले दोस्त से ये बातें कह रहे हो,तो तुम अपने नजरिए को बदल लोग. यह पुरानी मान्यता कि अकेले रहना एक समस्या है जिसे ठीक किया जाना चाहिए. सिंगल रहने के कई फायदे हैं और लोग इसका फायदा उठा रहे हैं.
खुशी से 'सिंगल'
एक 30 वर्षीय उमंग प्रसाद एक आईटी प्रोफेशनल हैं.इस साल की शुरुआत में मुंबई से अबू धाबी चले गए. उन्होंने सिंगल रहकर अपने सपनों को पूरा किया.उन्होंने कई कोर्स किए, अपनी ऑनलाइन मास्टर डिग्री पूरी की और अपने प्रोफेशनल फील्ड में विशेषज्ञता हासिल की. यह सब उन्होंने फुल टाइम जॉब करते हुए किया.उमंग ने बताया, "सिंगल होने का सबसे अच्छी बात यह है कि आपके पास खुद को बेहतर बनाने और स्वतंत्रता हासिल करने के लिए पर्याप्त समय होता है. हालांकि, हम उस समय और स्थान का उपयोग कैसे करते हैं, यह हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करता है. जहां तक मेरा सवाल है, मैंने अपने जीवन के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया, अपनी स्किल्स विशेषज्ञता को बढ़ाया और पूर्णकालिक नौकरी संभालते हुए आगे की पढ़ाई की."
उमंग आगे कहते हैं कि मैं यह नहीं कहूंगा कि रिश्तों में रहने वाले लोग सफल नहीं हो सकते. लेकिन मेरे विचार में अकेले रहने से आपको दुनिया को समझने का मौका मिलेगा, नए-नए लोग आपसे जुड़ेंगे. नए-नए विचार आपको सुनने को मिलेंगे और लोगों का अलग-अलग नजरिया आपको देखने को मिलेगा.इससे आप मानसिक रूप से तो मजबूत होंगे ही. साथ ही आपके साथ रहने वाले नए-नए तरीके बताएंगे, जिससे आप आर्थिक और शारीरिक रूप से भी स्ट्रांग हो सकते हैं और आप अपनी अचीवमेंट को हासिल कर सकते हैं.
उमंग यह भी मानते हैं कि अकेले रहने से उन्हें भावनात्मक स्वतंत्रता और लाइफ को लचीला बनाने में मदद मिली है. वो आगे कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि मैं निर्दयी हो गया हूं. लेकिन अकेलेपन ने मुझे जिम्मेदार और सशक्त बना दिया है. क्योंकि मैंने खुद पर काबू पाना और चीजों को ठीक करना सीख लिया है. इससे मुझे और ज्यादा वक्त मिला है. मेरी पढ़ाई में भी इससे मदद हुई है. इतना ही नहीं मुझे अध्यात्म की दुनिया को और ज्यादा करीब से समझने का मौका मिला है.लोगों से जुड़ने का मेरा दायरा सीमित नहीं है - मुझे अपने खाली समय में बहुत से लोगों से बातचीत करने का मौका मिलता है. इससे मुझे दूसरों के प्रति अधिक सहानुभूति रखने और जीवन को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद मिलती है."
अनगिनत फायदे
यह उन व्यक्तियों की कहानी है जो अपनी इच्छा से अकेले हैं,इस बदलाव की ओर उनका झुकाव झुकाव बढ़ रहा है. मनोचिकित्सक, जीवन और व्यवसाय कोच और गेटवे ऑफ हीलिंग की संस्थापक निदेशक डॉ. चांदनी तुगनैत कहती हैं, "अकेलापन, चाहे अस्थायी हो या स्थायी, आत्म-खोज, व्यक्तिगत विकास और व्यक्तिगत उपलब्धि के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करता है. कई सिंगल्स असाधारण भावनात्मक लचीलापन, मजबूत निर्णय लेने की क्षमता और आत्मनिर्भरता विकसित करते हैं. ये ऐसे गुण जो उन्हें जीवन भर काम आते हैं."
मैं रिश्तों के खिलाफ़ नहीं हूं. मैं डेट पर जाती हूं- मैत्रेयी सेन
पीएचडी की स्टूडेंट मैत्रेयी सेन ने कहा कि मैं पांच साल से सिंगल हूं और इस दौरान मैंने पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से तरक्की की है. सिंगल होने की वजह से मैं किसी और की ज़रूरतों या अपेक्षाओं के साथ संतुलन बनाए बिना अपने करियर पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर पाती हूं. हालाँकि, मैं रिश्तों के खिलाफ़ नहीं हूं. मैं डेट पर जाती हूं और लोगों से मिलती हूं, लेकिन मुझे अभी तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है जिससे मैं वास्तव में जुड़ पाऊँ." मैत्रेयीका इरादा स्पष्ट है - वह किसी समयसीमा का पीछा नहीं कर रही हैं या एक निश्चित उम्र से पहले शादी करने के दबाव में नहीं आ रही हैं. वह फिलहाल सिंगल हैं और खुश हैं.वह आगे कहती हैं, "जो लोग अपने रिश्तों में खुश हैं, वे आम तौर पर किसी के साथ रहना बुरी बात नहीं समझते और मैं भी ऐसा ही सोचती हूं. मैं अकेली रहकर खुश हूं" दोस्तों, परिवार और चचेरे भाइयों-बहनों के रूप में एक बढ़िया सपोर्ट होने से भी मदद मिलती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में व्यक्तिवाद और आत्म-प्रेम के उदय ने 'खुशी से अकेले' रहने की दिशा में इस बदलाव को बढ़ावा दिया है.दिल्ली में स्थित एक रिलेशनशिप काउंसलर रुचि रूह कहती हैं कि मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि व्यक्तित्व और आत्म-जागरूकता की एक मजबूत भावना से लचीलापन, बेहतर भावनात्मक विनियमन और उच्च जीवन संतुष्टि बढ़ सकती हैं. खुशी के एकमात्र स्रोत के रूप में रिश्तों पर पारंपरिक निर्भरता अब बदल रही है, लोग अपने भीतर या सार्थक संबंधों के माध्यम से खुशी की तलाश कर रहे हैं." इसके अलावा युवावस्था में अकेले रहना अक्सर बेहतर आत्म-जागरूकता और पेशेवर जोखिम लेने की अधिक इच्छा से जुड़ा होता है.
डेटिंग और शादी का दबाव
सिंगल होना एक स्वस्थ रिश्ते में होने जितना ही संतोषजनक हो सकता है. दोनों ही व्यक्तिगत फैसलें हैं जिनके लिए समाज को जवाब देने की जरूरत नहीं है. दुनिया इसे जिस तरह से देखती है, उसके विपरीत, सिंगल होना कोई समस्या या चिंता का विषय नहीं है. इसके विपरीत, समस्या यह है कि समाज सिंगल होने को समस्या के रूप में देखता है. यह जुनून अक्सर गहरी जड़ें जमाए हुए सांस्कृतिक आख्यानों और वर्षों की कंडीशनिंग से उपजा है जो रिश्तों को सफलता और पूर्णता के बराबर मानते हैं. जहां रिश्ते और सिंगलहुड दोनों ही व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए समान रूप से सही रास्ता दिखाते हैं। सिंगल रहने का विकल्प भी उतना ही सम्मान और समझ का हकदार है जितना कि किसी रिश्ते को आगे बढ़ाने का निर्णय - दोनों में से किसी को भी औचित्य या सुधार की आवश्यकता नहीं है." इसके अलावा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि रिश्ते की स्थिति व्यक्तिगत सफलता या खुशी को परिभाषित नहीं करती है. First Updated : Friday, 06 December 2024