सुसाइड से पहले इंसान के व्यवहार में दिखते हैं ये बदलाव, समय रहते ऐसे करें पहचान

Mental health: आत्महत्या से पहले व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव जैसे उदासी, अकेलापन, सामाजिक दूरी, और निराशाजनक बातें कहने जैसे संकेत दिख सकते हैं. इन संकेतों को पहचानकर संवाद शुरू करें, पेशेवर मदद लें, और साथ देकर उनकी जान बचाई जा सकती है. मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Mental health: भारत समेत पूरी दुनिया में आत्महत्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी यह चुनौती न केवल व्यक्ति बल्कि पूरे परिवार और समाज को झकझोर कर रख देती है. अक्सर लोग आत्महत्या का कदम उठाने से पहले अपने व्यवहार में कुछ बदलाव दिखाते हैं, जिन्हें समय रहते पहचान कर उनकी मदद की जा सकती है.

विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या को रोका जा सकता है, अगर समय पर संकेतों को समझा जाए और व्यक्ति को सही सहयोग मिले. आइए जानते हैं वे मुख्य बदलाव, जो किसी व्यक्ति के आत्महत्या की ओर बढ़ने के संकेत हो सकते हैं, और उन्हें पहचान कर समय पर मदद कैसे की जा सकती है.

व्यवहार में अचानक बदलाव

आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के व्यवहार में अचानक और नाटकीय बदलाव हो सकते हैं.

  • उदासी और अकेलापन: व्यक्ति अचानक बहुत उदास, चिड़चिड़ा या आत्मनिर्भर बन सकता है.

  • रुचि की कमी: जिन चीजों में पहले रुचि होती थी, उनमें दिलचस्पी खत्म हो जाती है.

  • सोशल डिटैचमेंट: परिवार और दोस्तों से दूरी बनाना या सामाजिक गतिविधियों से कट जाना.

जीवन से जुड़ी निराशाजनक बातें कहना

व्यक्ति अक्सर नकारात्मक और निराशाजनक बातें कहने लगता है.

  • आत्मग्लानि: "मेरी वजह से सब परेशान हैं," या "मैं किसी काम का नहीं हूं."

  • मृत्यु की बातें: "मुझे अब जीने का मन नहीं करता," या "मौत ही एकमात्र समाधान है."

नींद और खाने की आदतों में बदलाव

  • नींद की समस्या: व्यक्ति या तो ज्यादा सोने लगता है या फिर अनिद्रा से ग्रस्त हो जाता है.

  • खाने की आदतें: जरूरत से ज्यादा खाना या बिल्कुल न खाना.

  • व्यक्तिगत चीजों का निपटारा

  • वसीयत बनाना: बिना किसी स्पष्ट कारण के वसीयत या अपने निजी सामान का बंटवारा करना.

  • विदाई जैसा व्यवहार: दोस्तों और परिवार से भावनात्मक अलविदा कहना.

मदद कैसे करें?

  • संवाद शुरू करें: अगर आपको किसी के व्यवहार में बदलाव नजर आता है, तो उनसे खुलकर बात करें.

  • पेशेवर मदद लें: उन्हें मनोवैज्ञानिक या काउंसलर के पास जाने के लिए प्रोत्साहित करें.

  • साथ रहें: ऐसे समय में उनका साथ देना और उन्हें यह विश्वास दिलाना जरूरी है कि वे अकेले नहीं हैं.

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाना बेहद जरूरी

आत्महत्या रोकने के लिए समाज को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाना बेहद जरूरी है. संकेतों को समझकर समय पर मदद करना न केवल एक जीवन बचा सकता है, बल्कि समाज को इस चुनौती से निपटने में मदद कर सकता है.

Disclaimer: ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.

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12 January 2025, 02:32 PM IST

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