15 की उम्र में भी टाइप 2 डायबिटीज, किस बच्चे को ज्यादा खतरा, जानें क्या हैं लक्षण
कम उम्र में मधुमेह होने से जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। अर्थात् जीवन भर कोई न कोई समस्या बनी रहती है। मधुमेह आमतौर पर 25-30 वर्ष की उम्र के बाद ही होता है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि अब यह 15 वर्ष की उम्र से ही बच्चों में होने लगा है।

भारत में 100 मिलियन से अधिक लोग टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित हैं। लेकिन बड़ी बात यह है कि आधे से अधिक लोगों को यह पता ही नहीं है कि उन्हें मधुमेह है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर को कमजोर कर देती है। इसमें सबसे पहले गुर्दे प्रभावित होते हैं, लेकिन इसके बाद हृदय, यकृत और आंखें भी प्रभावित होने लगती हैं। मधुमेह आमतौर पर 25-30 वर्ष की उम्र के बाद ही होता है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि अब यह 15 वर्ष की उम्र से ही बच्चों में होने लगा है। सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. एम वली का कहना है कि अब तक बच्चों में मधुमेह के ज्यादातर मामले टाइप 1 मधुमेह के रहे हैं, लेकिन अब 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में टाइप 2 मधुमेह का खतरा भी बढ़ रहा है। कम उम्र में मधुमेह होने से जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। अर्थात् जीवन भर कोई न कोई समस्या बनी रहती है।
बच्चों में यह दिखाई देते है लक्ष्ण
डा. एम. वली का कहना है कि बच्चों में मोटापे के बढ़ते मामलों से छोटी उम्र में मधुमेह होने का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसे में अगर बच्चा मोटापे का शिकार है तो उसे मधुमेह की जांच जरूर करानी चाहिए। बच्चों में टाइप 2 मधुमेह बहुत धीरे-धीरे विकसित होता है, यही कारण है कि प्रारंभिक अवस्था में कोई विशिष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते। कई बार इसका पता रूटीन चेकअप के दौरान भी चलता है। अगर बच्चे का ब्लड शुगर लेवल अक्सर हाई रहता है, तो इसके कारण होने वाली कुछ समस्याओं पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। अगर बच्चे को बार-बार प्यास लग रही हो, बार-बार पेशाब आ रहा हो, बिना कुछ किए अक्सर थकान महसूस हो रही हो या धुंधला दिखाई देने लगा हो तो ऐसे लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अचानक वजन कम होना या बार-बार संक्रमण होना भी मधुमेह का संकेत हो सकता है।
किस बच्चे को मधुमेह का अधिक खतरा
जो बच्चे मोटे होते हैं उनमें मधुमेह का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, यदि माता-पिता में से कोई पहले से ही मधुमेह से पीड़ित है, तो यह जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। शुरुआती दौर में बच्चों में मधुमेह के लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं होते, ऐसे में माता-पिता की सतर्कता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डॉ. वली का कहना है कि यदि परिवार में अधिक वजन के साथ पुरानी बीमारियों का इतिहास रहा है और बच्चों की जीवनशैली और खान-पान स्वस्थ नहीं है, तो 20 वर्ष की आयु से पहले ही मधुमेह और हृदय रोग का खतरा कई गुना बढ़ सकता है।
बच्चों में मधुमेह को कैसे रोकें?
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. सुनील मिश्रा का कहना है कि बच्चों को खुद नहीं पता होता कि उन्हें डायबिटीज है। ऐसे में अगर माता-पिता में से किसी को डायबिटीज है तो आपको इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए। खान-पान की गलत आदतें और कम व्यायाम बच्चों में डायबिटीज का मुख्य कारण है। इसलिए बच्चों में स्वस्थ भोजन खाने की आदत डालें। उन्हें प्रतिदिन किसी न किसी रूप में हरी सब्जियां और सलाद खिलाएं। पिज्जा, बर्गर, जंक फूड, फास्ट फूड और पैकेज्ड फूड से बचें। बच्चे को खेल खेलने के लिए प्रेरित करें।


